Tere Jane Se

ढोलक की थाप दूर-दराज़ के मोहल्लों तक सुनाई दी
जब उसे ख़बर मिली तो वो भी पहुँचा
खिड़कियों, दरवाज़ों से झाँक-झाँक कर
उसकी नज़र पकड़ने की कोशिश करता रहा

मेहँदी सजी दुल्हन तक पहुँचना मुमकिन नहीं था
एक सहेली दुल्हन के लिए चाय की प्याली लेकर आई
उसने तो माँगी नहीं थी
सहेली की आँख ने झपक कर कहा
"पी लो, cup में पैग़ाम भी है"

Cup की तह में उसने अँगूठी रखकर भेजी थी
अँगूठी होंठों से पी ली और उँगली में पहन ली
सहली की मेहँदी लगी हथेली पर उसने लिखकर भेज दिया
"उसी sunset पर मिलना जो पुल पर मिला था"
लेकिन संदेशा पहुँचा नहीं, वो जा चुका था

पल-भर में सब बदल गया
और कुछ भी नहीं बदला
जो बदला था वो तो गुज़र गया

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं
रात भी आई थी और चाँद भी था
रात भी आई थी और चाँद भी था

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं

साँस भी वैसे ही चलती है हमेशा की तरह
आँख वैसे ही झपकती है हमेशा की तरह
थोड़ी सी भीगी हुई रहती है
और कुछ भी नहीं

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं

होंठ ख़ुश्क होते हैं और प्यास भी लगती है
आजकल शाम ही सी सर्द हवा चलती है
बात करने से धुँआ उठता है
जो दिल का नहीं का नहीं

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं
रात भी आई थी और चाँद भी था
रात भी आई थी और चाँद भी था
हाँ, मगर नींद नहीं, नींद नहीं



Credits
Writer(s): Vishal Dadlani, Gulzar
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