Jal Bhar De

आसमान का रंग बदल रहा था, रात कच्ची पड़ रही थी
कोई पंछी पास के पेड़ से उड़ा
और सुबह को लाने आसमान की तरफ़ निकल गया
वो पुल के उस किनारे पर आकर खड़ी हो गई
जहाँ से अगला क़दम ज़िंदगी का आख़िरी क़दम था

एक भोले-भाले भेड़ के बच्चे ने उसे रोक लिया
(आ, आ, आ, आ, आ, आ)
गडरिए भटकी हुई भेड़ों को राह दिखाते हैं
ईसा भी यही करते थे
उसका हाथ पकड़ के वो उसे अपने घर ले गया

अरे, ताल से पानी सूखा है, आसमान तो नहीं सूख गया
फिर मेघ आएगा, फिर जल भरेगा, चलो

जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे

जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे

ये कलसी प्यासी रे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे
ओ, मेघा वासी रे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे

जाने कहाँ बरसी है काली बदरी
काली-काली अखियों की ख़ाली कलसी
कलसी के गले-गले घन बरसे

जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे

ये कलसी प्यासी रे

दलदल बन गई सूखी नदिया
सूखी नदिया, सूखी नदिया
Hey, रुकी-रुकी मर गई भूखी नदिया
भूखी नदिया, भूखी नदिया

दलदल बन गई सूखी नदिया
रुकी-रुकी मर गई भूखी नदिया

भूरी बदरी को बुलाए नदिया
माटी का बिछौना बिछाए नदिया
सूने-सूने घाट सारे तर कर दे

जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे

सूखे-सूखे ताल-तलैया
सूनी-सूनी पुलिया रे
हो, जल भर दे रे

पानी बिन तरसे तुम्हारी नदिया
नंगे सर बैठी है बेचारी नदिया

कितने दिन जिएगी रे प्यासी नदिया?
बादलों की दासी उदासी नदिया

पानी बिन तरसे तुम्हारी नदिया
नंगे सर बैठी है बेचारी नदिया
नदियों को जल की चादर दे

जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे

ये कलसी प्यासी रे
जल भर दे रे, जल-जल भर दे
ओ, मेघा वासी रे



Credits
Writer(s): Vishal Bharadwaaj, Gulzar
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