Kaash Kahi Aisa Hota

ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
तक़लीफ़ न होती जीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में

सच कहते हैं लोग के पी कर, रंज नशा बन जाता है
कोई भी हो रोग ये दिल का, दर्द दवा बन जाता है
आग लगी हो इस दिल में तो, हर्ज़ है क्या फिर पीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
तक़लीफ़ न होती जीने में

भूल नहीं सकता ये सदमा, याद हमेशा आएगा
किसी ने ऐसा दर्द दिया जो, बरसों मुझे तड़पाएगा
भर नहीं सकते ज़ख़्म ये दिल के, कोई साल महीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता, के दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो, तक़लीफ़ न होती जीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता, के दो दिल होते सीने में



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Vijay Kalyanji Shah
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