Maiya Mori Mai Nahi Makhan

मैया मोरी, मैया मोरी
मैया मोरी, मैया मोरी, मैया मोरी
मैया मोरी, मैया मोरी

मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी, मैया मोरी, मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
ओ, मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
(मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो)

कन्हैया बोले
"मैया, ये तुमने सोचा कैसे कि मैंने माखन खाया?
तुम्हें तो मालूम है, मेरे पास काम कितने हैं
फ़ुर्सत ही कहाँ है जो माखन खाऊँ"

भोर-भयो गैयन के पाछे
तूने मधुवन मोहिं पठायो
भोर-भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो
चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे मैं घर आयो

मैया मोरी, मैं कब माखन खायो?
सुन, मैया मोरी, मैं कब माखन खायो?
मैया मोरी, मैं कब माखन खायो?
(मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो)

अब कन्हैया बोले कि
"मैया ज़रा ध्यान से सोचो, माखन कैसे खा सकता हूँ
कितना छोटा सा बालक और छोटे-छोटे हाथ-पैर मेरे
और माखन कहाँ टाँग के रखते हैं"

मैं बालक बहिंयन को छोटो, छींको किस बिधि पायो
मैं बालक बहिंयन को छोटो, छींको किस बिधि पायो
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो

सुन, मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
सुन, मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
(मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो)

अब कन्हैया ने माँ की खुशामत
माँ की तारीफ़ शुरू की
कि माँ प्रसन्न हो जाएगी, क्षमा कर देगी

तू जननी, मन की अति भोली, इनके कहे पतिआयो
तू जननी, मन की अति भोली, इनके कहे पतिआयो
ये ले अपनी लकुटि कंबलिया, बहुतहिं नाँच नचायो

ओ, मैया मोरी, मैं नही-नहीं-नहीं माखन खायो
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
सुन, मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो
(मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो)

कन्हैया ने देखा माँ तो मान ही नहीं रही
तो अब ऐसी बात कह दी कि कोई माँ नहीं सुन सकती
कहने लगे, "माँ, मैं समझ गया, ये माखन की बात नहीं है
बात तो कुछ और है"

जिय तेरे कुछ भेद उपजि हैं, तूने मोहे जान्यो परायो जायो
जिय तेरे कुछ भेद उपजि हैं, तूने मोहे जान्यो परायो जायो
सूरदास तब बिहँसि जसोदा, ले उर कंठ लगायो

कन्हैया मोरे, तै नहीं माखन खायो
कन्हैया मोरे, तै नहीं माखन खायो

कन्हैया ने देखा अब तो माँ मान गई है
अब झूट बोलने से क्या फ़ायदा
चमत्कार देखिए शब्दों का
कन्हैया ने अपने ही शब्दों में स्वीकार किया

अभी तक माँ कह रही है, "कन्हैया तै नहीं माखन खायो"
कन्हैया कह रहे है, "मैया मैं नहीं माखन खायो"
और अचानक कन्हैया ने माँ के आँसू पोछे
और मुसकुराते हुए कहने लगे

"सुन, मैया मोरी, मैंने ही माखन खायो
सुन, मैया मोरी, मैंने ही माखन खायो
सुन, मैया मोरी, मैंने ही माखन
मैंने ही माखन, मैंने ही माखन खायो"



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Narayan Agarwal
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