Karne Ko Dukh Door Swayam

करने को दुख दुर स्वयं मेरी माता आती है
दुख की विपदा जब जब भक्तों को सताती है

देख कभी मुरझाना पाए मेरे मन का फूल
करना ना मुझको तो मैया चरणों से कभी दूर
काली रूप में आती है कभी कंजक बन आती है

धन्य धन्य वो ध्यानु जिसने शीश की भेंट
चढ़ाई थी पोना वाली माता तूने उसकी लाज बचाई थी
ममता वाली मूरत शेर पे चढ़कर आती है

छोड़ गुफाएं आती रखने भक्तों का तू ध्यान
तेरे भक्तों की शान निराली जग में पाते मान
माटी को सोना करने लक्ष्मी बनाती है
दुख की विपदा जब जब भक्तों को सताती है

गायक राकेश चोपड़ा
गीत संगीत: राजीव चोपड़ा



Credits
Writer(s): Rajiv Chopra, Rakesh Chopra
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