Yeh Keya Zindegi Hai

ये क्या ज़िंदगी है, समझ में ना आए
कभी रो दिए हम, कभी मुस्कुराए
ये क्या ज़िंदगी है, समझ में ना आए
कभी रो दिए हम, कभी मुस्कुराए
ये क्या ज़िंदगी है...

कहीं धूप ग़म की, कहीं सुख की छाया
अजब राज़ क़ुदरत का जो खुलने ना पाया
कहीं धूप ग़म की, कहीं सुख की छाया
अजब राज़ क़ुदरत का जो खुलने ना पाया

किसी को उठाए, किसी को गिराए
कभी रो दिए हम, कभी मुस्कुराए
ये क्या ज़िंदगी है...

हमारा ज़माने में लंबा सफ़र है
जहाँ अपनी मंज़िल है, उस पे नज़र है
हमारा ज़माने में लंबा सफ़र है
जहाँ अपनी मंज़िल है, उस पे नज़र है

ग़मों ने बहुत हौसले आज़माए
कभी रो दिए हम, कभी मुस्कुराए
ये क्या ज़िंदगी है...

उम्मीदों को मंज़िल दिखा के रहेंगे
मोहब्बत जहाँ को सिखा के रहेंगे
उम्मीदों को मंज़िल दिखा के रहेंगे
मोहब्बत जहाँ को सिखा के रहेंगे

ना हम मुश्किलों में कभी डगमगाए
कभी रो दिए हम, कभी मुस्कुराए
ये क्या ज़िंदगी है, समझ में ना आए
कभी रो दिए हम, कभी मुस्कुराए
ये क्या ज़िंदगी है...



Credits
Writer(s): Shyamji, Shyamji Ghanshyamji, Sajan Delvi
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