Mai n Ishwar Nahi Parrmeshwar Nahi - Studio

(ओ, बुद्धा)
(ओ, बुद्धा)

(ओ, बुद्धा)

तुम पूछो, मैं करता हूँ समाधान
तुम पूछो, मैं करता हूँ समाधान

मैं ईश्वर नहीं, परमेश्वर नहीं
मैं आत्मा नहीं, परमात्मा नहीं
मैं ईश्वर नहीं, परमेश्वर नहीं
मैं आत्मा नहीं, परमात्मा नहीं

मार्ग अष्टांग बताऊँगा जो दुख का करे निदान

तुम पूछो, मैं करता हूँ समाधान
तुम पूछो...

(ओ, बुद्धा)

(जो बुद्धा दे सना, क्या होती अराधना?)
(मन शुद्धि की चेतना, क्यूँ करे कोई साधना?)
(जो बुद्धा दे सना, क्या होती अराधना?)
(मन शुद्धि की चेतना, क्यूँ करे कोई साधना?)

बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, दिए येहु ये अंतिम
आत्म सुधार का साध्य यही, कर्तव्य हो ये अंतिम
बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, दिए येहु ये अंतिम
आत्म सुधार का साध्य यही, कर्तव्य हो ये अंतिम

मैत्री से कर्म हो जो आए सबके काम
मैत्री से कर्म हो जो आए सबके काम

पूरब में भी, पश्चिम में भी, उत्तर में भी, दक्षिण में भी
चारों दिशा में ज्ञान की रण से होगा सत निर्माण

तुम पूछो, मैं करता हूँ समाधान
तुम पूछो...

(ओ, बुद्धा)

(प्रवचन भी कितने सारे, हो जाए मन विचलित)
(कैसे बात मान के सीखी? कोई प्रमाण है क्या निश्चित?)
(प्रवचन भी कितने सारे, हो जाए मन विचलित)
(कैसे बात मान के सीखी? कोई प्रमाण है क्या निश्चित?)

ओ, मत मानो कोई बात, क्यूँकि है वो काल रचित
मत मानो कोई बात, क्यूँकि है वो प्रचलित
ना मानो कोई बात, क्यूँकि है वो काल रचित
मत मानो कोई बात, क्यूँकि है वो प्रचलित

ना मानो उसे के वो वाणी प्रतिष्ठित
असाधारण हो प्रतीत
ना मानो उसे के वो वाणी प्रतिष्ठित
असाधारण हो प्रतीत

बुद्धी उसे स्वीकारे जिसे
जन हित साधे जानो उसे
कसौटी पर जो शास्त्र सिद्ध
बस मानो वो विचार

तुम पूछो, मैं करता हूँ समाधान

मैं ईश्वर नहीं, परमेश्वर नहीं
मैं आत्मा नहीं, परमात्मा नहीं
मैं ईश्वर नहीं, परमेश्वर नहीं
मैं आत्मा नहीं, परमात्मा नहीं

मार्ग अष्टांग बताऊँगा जो दुख का करे निदान

तुम पूछो, मैं करता हूँ समाधान
तुम पूछो...

(विजय असो, विजय असो)
(तथागथाचा विजय असो)
(विजय असो, विजय असो)
(तथागथाचा विजय असो)

(विजय असो, विजय असो)
(तथागथाचा विजय असो)
(विजय असो, विजय असो)
(तथागथाचा विजय असो)



Credits
Writer(s): Rajesh Dhabre
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