Satish Chandra feat. Sunaina Setia & Mukesh Tomar -
Aaye Anubhav Kare (From "Aaye Anubhav Kare - Zee Music Devotional") - Single
Aaye Anubhav Kare (From "Aaye Anubhav Kare - Zee Music Devotional")
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अनादि रूप रचकर, तन भान तजकर
अनादि रूप रचकर, तन भान तजकर
परमधाम चल दें स्मृतियों से सजकर
प्रभु पास आकर, किरण में नहाकर
उनसा बनें यादों में हम समाकर
स्नेह से कल्प तरु का सिंचन करें
आयें अनुभव करें
धरे रूप उतरे जो सम्पूर्ण पावन
अपनी वो दुनिया स्वर्गिक सुहावन
आ, धरे रूप उतरे जो सम्पूर्ण पावन
अपनी वो दुनिया स्वर्गिक सुहावन
अपने धरती गगन मंद पावन पवन
नाथ त्रिभुवन के हम लेते थे सुख सघन
आदि रूप आँखों में अभिनंदन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
देखें द्वापर में मंदिर में पूजा हुई
देखें द्वापर में मंदिर में पूजा हुई
पूज्य हम ही तो थे वो ना दूजा कोई
हो, वो कतारों में करबद्ध करते नमन
वो कतारों में करबद्ध करते नमन
करते पूर्ण कामना भक्तवत्सल नयन
कितनी श्रद्धा से वो भक्ति पूजन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
चलते-चलते काल चक्र जो पूरा हुआ
आ आ आ आ आ आ
चलते-चलते काल चक्र जो पूरा हुआ
संगम में अपनो से संगम हुआ
भाग्य द्वारे खुले हमको भगवन मिले
भाग्य द्वारे खुले हमको भगवन मिले
लग के प्रभु के गले भाग्य लिखने लगे
ब्रह्मा वंशी ब्राह्मण ज्ञान गुंजन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
कर तपस्या विदेही फरिश्ता हुए
कर तपस्या विदेही फरिश्ता हुए
शक्ति भरते प्रभु सेवा करते हुए
करके पावन प्रकृति विश्व बदलेंगे हम
करके पावन प्रकृति विश्व बदलेंगे हम
आपसा बाबा बन-तन से निकलेंगे हम
धुन है आपके कथन पे खुद को अर्पण करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
आयें अनुभव करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अनादि रूप रचकर, तन भान तजकर
अनादि रूप रचकर, तन भान तजकर
परमधाम चल दें स्मृतियों से सजकर
प्रभु पास आकर, किरण में नहाकर
उनसा बनें यादों में हम समाकर
स्नेह से कल्प तरु का सिंचन करें
आयें अनुभव करें
धरे रूप उतरे जो सम्पूर्ण पावन
अपनी वो दुनिया स्वर्गिक सुहावन
आ, धरे रूप उतरे जो सम्पूर्ण पावन
अपनी वो दुनिया स्वर्गिक सुहावन
अपने धरती गगन मंद पावन पवन
नाथ त्रिभुवन के हम लेते थे सुख सघन
आदि रूप आँखों में अभिनंदन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
देखें द्वापर में मंदिर में पूजा हुई
देखें द्वापर में मंदिर में पूजा हुई
पूज्य हम ही तो थे वो ना दूजा कोई
हो, वो कतारों में करबद्ध करते नमन
वो कतारों में करबद्ध करते नमन
करते पूर्ण कामना भक्तवत्सल नयन
कितनी श्रद्धा से वो भक्ति पूजन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
चलते-चलते काल चक्र जो पूरा हुआ
आ आ आ आ आ आ
चलते-चलते काल चक्र जो पूरा हुआ
संगम में अपनो से संगम हुआ
भाग्य द्वारे खुले हमको भगवन मिले
भाग्य द्वारे खुले हमको भगवन मिले
लग के प्रभु के गले भाग्य लिखने लगे
ब्रह्मा वंशी ब्राह्मण ज्ञान गुंजन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
कर तपस्या विदेही फरिश्ता हुए
कर तपस्या विदेही फरिश्ता हुए
शक्ति भरते प्रभु सेवा करते हुए
करके पावन प्रकृति विश्व बदलेंगे हम
करके पावन प्रकृति विश्व बदलेंगे हम
आपसा बाबा बन-तन से निकलेंगे हम
धुन है आपके कथन पे खुद को अर्पण करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें आत्म दर्शन करें
अपने पाँचों स्वरूपों का चिंतन करें
आयें अनुभव करें
आयें अनुभव करें
Credits
Writer(s): Satish Chandra
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