Savera

इन अँधेरों में तूफ़ाँ के घेरों में
इन सवेरों सा रौशन हो जाऊँ मैं
इन अँधेरों में तूफ़ाँ के घेरों में
इन सवेरों सा रौशन हो जाऊँ मैं
कुछ बातें अनकहीं ज़हन में रह गई
किताबों के पन्नो पे सियाही बहती है नहीं

आँखें नम हैं पर कुछ कहती है रही
सब सहती हैं ये, सब सहती है रही

न जाने कब होगा ये सवेरा
ख़ामोशियों का है ये बसेरा, अँधेरा
न जाने कब होगा ये सवेरा
ख़ामोशियों का है ये बसेरा, अँधेरा

रातों की बाहों में सपने भी ना हो निगाहों में
इन सवेरों सा रौशन हो जाऊँ मैं
कुछ साँसें रुकी सी, धड़कन थम सी है गई
ख़्वाबों के रंगों पे धुल जम सी है गई

आँखें नम हैं पर कुछ कहती है रही
सब सहती हैं ये, सब सहती है रही

न जाने कब होगा ये सवेरा
ख़ामोशियों का है ये बसेरा, अँधेरा
न जाने कब होगा ये सवेरा
ख़ामोशियों का है ये बसेरा, अँधेरा

न जाने कब होगा ये सवेरा
ख़ामोशियों का है ये बसेरा, अँधेरा
न जाने कब होगा ये सवेरा
ख़ामोशियों का है ये बसेरा, अँधेरा



Credits
Writer(s): Sanskar Vaidya
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link