Mehabooba

जब तक है ज़मीं
जब तक है आसमाँ
तुम मेरे ही रहो
बस इतना ही अरमाँ

तुझे बाँध लूँ मैं आँचल में, जैसे चाँद रहे बादल में
हम जँचते हैं ऐसे जैसे सजे नैन काजल में

महबूबा, मैं तेरी महबूबा
महबूबा, मैं तेरी महबूबा
महबूबा, मैं तेरी महबूबा
महबूबा, ओ, मैं तेरी महबूबा

शुरू हो रही हैं नई मंज़िलें
नई ज़िंदगी का सफ़र

शाम उतरे जहाँ चाँदनी ओढ़ कर
धूप बिखरी रहे जिस जगह रेत पर
इस जहाँ से परे, आ, वहीं हम चलें
रात लेटी रहे अपनी चादर तले

मैं गुड़िया बन जाऊँगी, मेरे साथ तू खेलते रहना
कभी बाँहों में झूला झुलाना, कभी दिल से लगा लेना

महबूबा, मैं तेरी महबूबा
महबूबा, मैं तेरी महबूबा
महबूबा, मैं तेरी महबूबा
महबूबा, ओ, मैं तेरी महबूबा



Credits
Writer(s): Ravi Basrur, Shabbir Ahmed
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