Aarzuu Kaise Khoju

ख़ंजर जैसी अखियों में
साज़िश थी पहले दिन से
मैं तो हूँ ना ख़ुद का
कैसे लिखूँ ये ख़त में?

है ये गुज़ारिश तुमसे मेरी
ख़त के जवाब में लिखना
होगी नवाज़िश दिल पे मेरे
ख़त के जवाब में लिखना

आरज़ू कैसे खोजूँ?
बाज़ी मोहब्बत की खेलूँ
सोहबत से तेरी तो बना हूँ मैं
बेफ़िक्र दिल को हारा हूँ
आरज़ू कैसे खोजूँ?

अक्सर तन्हा शामें पर्दों में छुपती हैं
दिल भी उसमें लिपटा, इश्क़ हो जैसे पर्दा

है ये गुज़ारिश तुमसे मेरी
ख़त के जवाब में लिखना
होगी नवाज़िश दिल पे मेरे
ख़त के जवाब में लिखना

आरज़ू कैसे खोजूँ?



Credits
Writer(s): Aman Moroney, Mohammad Muneem Nazir, Renuka Indurkar
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