Vyarth

व्यर्थ

क्या तुम उतना चाह सकोगे मुझे
जितना मैंने किसी और को चाहा था
बेइंतहा
बेहद
बेतहाशा

क्या तुम डूब सकोगे
मेरे प्यार की गहराइयों में यूँ
के फ़लक से नाता टूट जाये तुम्हारा
हाँ, मैं वहीं मिलूंगी तुम्हे
बेसुध
मदहोश

क्या तुम इबादत कर सकोगे
इस रिश्ते की
जिस तरह एक रिश्ते को कभी
था मैंने पूजा
मग्न
लीन
मलंग

क्या तुम आँखें मूँद कर
चल पड़ोगे साथ मेरे
बिना किसी शर्त या सवाल
क्या तुम कर पाओगे इतना भरोसा
क्या तुम इंतज़ार कर सकोगे ता-उम्र
जिस तरह मैं करती हूँ किसी का

क्या तुम प्यार कर सकोगे मुझसे
जो मैं तुम्हारे पास नहीं, साथ नहीं
जो तुम मुझे न सुन सको, न देख सको
ना छू सको, ना महसूस कर सको
जो मैं तुम्हे ना चाहूँ कहो

क्या तुम कर सकोगे इतना प्यार
जो दरिया में भी न समा पाये
इतना के आसमान भी कम पड़ जाये
प्यार जो जिस्मानी ताल्लुकातों से हो परे
जो रूहानी हो,जो हो पाक

प्यार गर ऐसा न हो
तो है बस समझौता
दो शक्शों के बीच
प्यार इससे बढ़कर हो सकता है
लेकिन कम नहीं

जो तुम्हे हो ज़रा भी असमंजस
और तुम्हारे कदम डगमगाए
मत बढ़ाना उन्हें आगे
के ऐसा प्यार होगा व्यर्थ मेरे लिए
ऐसा प्यार न होगा गवारा मुझे



Credits
Writer(s): Anita Singh, Sharad Joshi
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