Chala Hun Main

आज फिर खुद को आज़माने चला हूँ मैं
आज फिर खुद पर दांव लगाने चला हूँ मैं
बन बैठे है जो खुदा खुद मे ही
उन काफ़िरों का वहम मिटाने चला हूँ मैं

कहते है विद्वान मुझे वक्त मेरा अनुकूल नही
हो तू विजेता अभी, किस्मत को ये मंजूर नही
पर है भरोसा मुझे बाहुबल मेरे पर
इसलिए आज भाग्य से टकराने चला हूँ मैं

कोशिश हुई बहुत मुझको गिराने की
फितरत रही मेरी मगर चुनौतियों मे मुस्कुराने की
थे पथ अतिदुर्गम जो अपनाता रहा हूँ मैं
परचम वहाँ विजय का लहराता रहा हूँ मैं

ऐसा अगर हो कि कही मेरी हार हो
भाग्य की मेरे! शक्ति अपार हो
ना समझना फिर मैं लौट नही आऊंगा
क्षण-क्षण खुद को तराशता रहा हूँ मैं
क्षण-क्षण खुद को सँवारता रहा हूँ मैं



Credits
Writer(s): Rohit 'katib', Ryan Poole
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