Mukti Do

मुक्ति दो, मुक्ति दो
माटी से माटी को
मुक्ति दो, मुक्ति दो
माटी से माटी को

वस्त्र से शरीर को
शरीर से आत्मा को
वस्त्र से शरीर को
शरीर से आत्मा को

मुक्ति दो, मुक्ति दो
माटी से माटी को
मुक्ति दो, मुक्ति दो

रोशनी को रोशनी में समा जाने दो
रोशनी को रोशनी में समा जाने दो
सूर्य से ही आई थी, सूर्य ही में जाने दो
सूर्य से ही आई थी, सूर्य ही में जाने दो

मुक्ति दो, मुक्ति दो
माटी से माटी को
मुक्ति दो, मुक्ति दो
माटी से माटी को
मुक्ति दो, मुक्ति दो



Credits
Writer(s): Gulzar, A.r. Rahman
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