Juthi Iss Duniya Se Chal Durr

जूठी इस दुनिया से चल दूर
देखा है मैंने एक जहां
ऊंची ऊंची हैं वादियाँ
और पेडो को छूता आसमान

फूलो सी कोमल तेरी बाँहें
मुझको समाले उसमें तू जानेमन
दिल में तेरे थोड़ी जगाह दे
तेरी ये आंखें करती शरारते हाँ जानेमन
होगा ना ये
ना हुआ कभी
तुझसा हसीन दिलरुबा
तुझे बोले
मैं सुनता रहूँ
हाथो में रख के तेरा हाथ हाँ

जूठी इस दुनिया से चल दूर
देखा है मैंने एक जहां
ऊंची ऊंची हैं वादियाँ
और पेडो को छूता आसमान

ये काली ज़ुल्फ़ें
ये नीली आंखें
तेरी ये मस्त सी अदा
करती जो बाते
तू ना खत्म हो कभी ऐसी कहानी
ना चेन है अब मुजको
ना कटती राते

में कहता नहीं
ये दुनिया वालों को
के चाहता में तुझको बेसुमार

आया मौसम भी बारीश का
नाचे मोर भी बागो में
फेला के अपने पंख हम भी उड़ चले

जूठी इस दुनिया से चल दूर
देखा है मैंने एक जहां
ऊंची ऊंची हैं वादियाँ
और पेडो को छूता आसमान



Credits
Writer(s): Brijesh Jagad
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