Tujhsa Koi

महफ़िलों में गुमसुम बैठा मैं था जब तनहा
देखा तुझको मैंने, तेरे संग मैं चल पड़ा
आँखों में देखा और चूमा हाथ भी तेरा ज़रा
पाई काफ़ी हज़रतें, पर कोई ना तेरी तरह

देखी है कारों में, क्लबों में, बारों में
तुझ जैसी मिलती है ना अब अख़बारों में
हमने भी देखे हैं काफ़ी बाज़ारों के हज़ारों मेले

राहों में, बाँहोें में, बारिश की शामों में
हाथ ये तेरा हो मेरे ही हाथों में
पल-भर के लिए भी तुम ना नज़ारों में तो हैं हम अकेले

ढूँढा मैंने आसमाँ, खोजा मैंने रास्ता
दुनिया में ना है तुझसा कोई, तुझसा कोई
मेरा दिल था तब फँसा, दिया तुझक जब हँसा
इस भीड़ में भी मुझसा कोई, ना मुझसा कोई

आशिक़ मेरे जैसा ढूँढेगी तू अब कहाँ
बातें तेरी सुनना चाहेगा जो बस सदा
तेरी उस हँसी के ख़ातिर कर दे ख़ुद को फ़ना
हाँ, मैं हूँ वो मुसाफ़िर और ये दुनिया तेरा जहाँ

हरकत से, चालों से, तेरी अदाओं से
मेरा तो दिल रह ना पाए अब क़ाबू में
तूने सजाई है आके अब ख़्वाबों में ये रातें मेरी

लम्हों में, सालों में, बोला मिसालों में
गाया जिसे मैंने अपने ये गानों में
करने लगा हूँ ख़ुदा से दुआओं में बस बातें तेरी

ढूँढा मैंने आसमाँ, खोजा मैंने रास्ता
दुनिया में ना है तुझसा कोई, तुझसा कोई
मेरा दिल था तब फँसा, दिया तुझक जब हँसा
इस भीड़ में भी मुझसा कोई, ना मुझसा कोई

यूँ ना सता, ख़ुद को दिखा, तेरी यादें मेरा जहाँ
ख़ुद से मिला, दे-दे शिफ़ा, मेर रगों में तेरा नशा
तुझसा कोई, ना तुझसा कोई, तुझसा कोई ना है यहाँ
मुझसा कोई, ना मुझसा कोई, ना होगा यहाँ



Credits
Writer(s): Tanzeel Khan
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