Malang

देखो, कैसे झूमें ये फ़िज़ाएँ
बदला-बदला लागे जहाँ
क्यूँ है दूरी ख़ुद की ख़ुद से?
खोए-खोए हम कहाँ

भागे-भागे कैसे जहाँ, देखो ना
रूठा जैसे अपनों से
बाग़ी है ये हवा, रुके ना
तू क्यूँ है रुका हुआ?

हो जा तू मलंग
भूल जा सारे ग़म
हो जा तू मलंग
भूल जा सारे ग़म

गूँजे शोर ये ख़ामोशी का
जैसे कोई ख़ाली घर
क्यूँ है दूरी ख़ुद की ख़ुद से?
जाने कैसा ये असर

भागे-भागे कैसे जहाँ, देखो ना
रूठा जैसे अपनों से
बाग़ी है ये हवा, रुके ना
तू क्यूँ है रुका हुआ?

हो जा तू मलंग
भूल जा सारे ग़म
हो जा तू मलंग
भूल जा सारे ग़म



Credits
Writer(s): Vismay Patel
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