Hum Khuda Nahi They

ख़्वाब भी दौड़े नंगे पाँव तेरी और थे
ख़्याल तेरे सुर में बाकी शोर थे
हम उनको ही सुनते गए
मैंने ही बनाया खुदा तुझे अपने ही कलम से था
हाँ थोड़ा परेशान तेरे ज़ुल्म से था
तो आयते पढ़ते गए

फितूर को बनाके जामिया
जब ढूंढते मुझमै तुम खामियाँ
तुम ऐसे कैसे बदल गये
हम गिर गए तुम संभल गए

मेरी हर ग़ज़ल में तेरा ही तो घर हैं
तेरे एक ख़्याल में भी अब हम नहीं थे
अब हम ज़रा ज़रा लिखते हैं बुरा
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे

तुम करते रहे शिकायते
हम करते रहे ज़ेहमतें
कसीदे पढ़ते तुम छोटी बात पे
हम रहमतें ही पढ़ते गए
मैंने सुना निकाह हुआ तेरा किसी क्लर्क (Clerk) से था
हम नामी शायर मेरा इशारा सबक से थे
हम आगे ही बढ़ते गए

मेरी बर्बादी को शोहरत का नाम दो
मेरे होश के हाँथों में जाम दो
पहले लिखते थे खातिर अब ख़िलाफ है
उसे मेरा आखिरी सलाम दो

गिराए रोशनी जो आफ़्ताब से
खुदगर्ज़ ही भले, हम आसमां नहीं थे
अब हम ज़रा ज़रा लिखते हैं बुरा
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे

ये नफ़रत, ये स्याह ग़म की नुमाईश
बिकती है काफ़ी बाज़ार में
हम जैसा एक होता है मजनूं
हारे हैं दो हज़ार एक हज़ार में
कोई तो समझे है मेरी कराहें
इस दर्द पर ना मेरे दाद दो
और कोई समझ के मैखाना
जाम ना छलकादे मेरे इश्क की मज़ार पे

लोग पिटते थे जमके क्यूं तालियां
इश्क से हुए हम दिवालिया
चाय पीने तो घर आना कभी
तेरे होठों से लगेंगी घर की प्यालियां

मेरी हर ग़ज़ल में तेरा ही तो घर हैं
तेरे एक ख़्याल में भी अब हम नहीं थे
अब हम ज़रा ज़रा लिखते हैं बुरा
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
गिराए रोशनी जो आफ़्ताब से
खुदगर्ज़ ही भले, हम आसमां नहीं थे
अब हम ज़रा ज़रा लिखते हैं बुरा
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे
क्या करे हैं शायर, हम खुदा नहीं थे



Credits
Writer(s): Fiddlecraft
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