Dillagi Mein Jo Beet Jaaye

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है
हम हैं तो है महफ़िल ये रौशन
जो हम नहीं तो फिर कुछ भी नहीं है

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है
हम हैं तो है महफ़िल ये रौशन
जो हम नहीं तो फिर कुछ भी नहीं है

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है

दिल-फेंक हैं माना, पर जैसे हैं, भले हैं
मोहब्बत की राहों में दिल लेके चले हैं
हुस्न है, बहार है, फिर क्या इंतज़ार है?
आजा, हसीना, ऐसे दूर क्यूँ खड़ी है?

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है
हम हैं तो है महफ़िल ये रौशन
जो हम नहीं तो फिर कुछ भी नहीं है

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है

भोली सी हैं आँखें, चेहरे पे हँसी है
मेरी तो मोहब्बत मोहब्बत से हसीं है
ओ, इश्क़ है, समाँ है, धड़कनें जवाँ हैं
दिल हुआ घायल जब से अखियाँ लड़ी हैं

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है
हम हैं तो है महफ़िल ये रौशन
जो हम नहीं तो फिर कुछ भी नहीं है

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है

अरमाँ जागे दिल में कि जादू है महफ़िल में?
कैसे ख़ुद को रोकूँ, ये दिल है मुश्किल में
जोश है, अरमान है, दिल में एक तूफ़ान है
जी लो ये पल बस घड़ी दो घड़ी है

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है
हम हैं तो है महफ़िल ये रौशन
जो हम नहीं तो फिर कुछ भी नहीं है

दिल्लगी में जो बीत जाए ज़िंदगी है
आशिक़ी आज है, यहाँ है, अभी है
हम हैं तो है महफ़िल ये रौशन
जो हम नहीं तो फिर कुछ भी नहीं है

दिल्लगी...



Credits
Writer(s): Sameer
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