Zindagi Ko Jeena Hai to (Sad)

क़िस्मत की लकीरों ने ये क्या जाल बिछा डाला?
क़िस्मत की लकीरों ने ये क्या जाल बिछा डाला?
एक नाज़ुक सी जान को उलझन में फँसा डाला
उलझन में फँसा डाला (अरे, अपना गाना गा, अपना)

ज़िंदगी को जीना है तो सुनो ये पयाम
बातों को नहीं, यहाँ काम को सलाम

सोच नहीं यार मेरे, सोच बुरी चीज़ है
जीने की तो बस एक यही तरक़ीब है
बन के सयाना माल-पानी कमाना सीख ले

है ना बाबू
ज़िंदगी को जीना है तो सुनो ये पयाम रे
बातों को नहीं, यहाँ काम को सलाम रे

ज़िंदगी को जीना है तो सुनो ये पयाम रे
बातों को नाहीं, इहाँ काम को सलाम रे
ज़िंदगी को जीना है तो सुनो ये पयाम रे
बातों को नहीं, यहाँ काम को सलाम रे



Credits
Writer(s): Anand Raj Anand
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