Mujhko Tum

मुझको तुम बरखा ना समझो, आग का दरिया हूँ मैं
(वाह! वाह-वाह-वाह! वाह-वाह-वाह! क्या बात है!)
मुझको तुम बरखा ना समझो, आग का दरिया हूँ मैं
ये तो मजबूरी है, अपने आप में जलता हूँ मैं
मुझको तुम बरखा ना समझो...

यूँ तो दीं मेरे ख़ुदा ने मुझको सारी नेमतें
यूँ तो दीं मेरे ख़ुदा ने मुझको सारी नेमतें
मुझको सारी नेमतें

एक तुम्हारे ही तबस्सुम के लिए तरसा हूँ मैं (वाह-वाह-वाह!)
एक तुम्हारे ही तबस्सुम के लिए तरसा हूँ मैं
मुझको तुम बरखा ना समझो...

तुम किसी भी बात का हरगिज़ बुरा मत मानना
तुम किसी भी बात का हरगिज़ बुरा मत मानना
हरगिज़ बुरा मत मानना

जो भी कहता हूँ किसी से, आदतन कहता हूँ मैं
जो भी कहता हूँ किसी से, आदतन कहता हूँ मैं
मुझको तुम बरखा ना समझो...

हाल-ए-दिल क्यों पूछते हैं लोग मुझसे बार-बार?
हाल-ए-दिल क्यों पूछते हैं लोग मुझसे बार-बार?
लोग मुझसे बार-बार

कह चुका हूँ, अच्छे-अच्छों से बहुत अच्छा हूँ मैं (बहुत अच्छे!)
कह चुका हूँ, अच्छे-अच्छों से बहुत अच्छा हूँ मैं
मुझको तुम बरखा ना समझो...

दोस्तों की दुश्मनी और दुश्मनों की दोस्ती
दोस्तों की दुश्मनी और दुश्मनों की दोस्ती
दुश्मनों की दोस्ती

जाने किस-किस मोड़ से कैसे निकल आया हूँ मैं (क्या मोड़)
जाने किस-किस मोड़ से कैसे निकल आया हूँ मैं
मुझको तुम बरखा ना समझो, आग का दरिया हूँ मैं
ये तो मजबूरी है, अपने आप में जलता हूँ मैं
मुझको तुम बरखा ना समझो...



Credits
Writer(s): Pt.k. Razdan
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