Sampurna Ramayan 108 Manke
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
भीड़ बड़ी जब भक्त पुकारे
दूर करो प्रभु दुःख हमारे
दशरथ के घर जन्मे राम
पतित पावन सीताराम
विश्वामित्र मुनिश्वर आए
दशरथ कूप से वचन सुनाए
संग में भेजे लक्ष्मण, राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
वन में जाए, ताड़का मारी
चरण छुआए अहिल्या तारी
ऋषियों के दुःख हरते राम
पतित पावन सीताराम
जनकपुरी रघुनंदन आए
नगर निवासी दर्शन पाए
सीता के मन भाए राम
पतित पावन सीताराम
रघुनंदन ने धनुष चढ़ाया
सब राजों का मान घटाया
सीता ने वर पाए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
परशुराम क्रोधित हो आए
दुष्ट भूप मन में हर्षाए
जनकराय ने किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
बोले लखन, "सुनो मुनि ज्ञानी
संत नहीं होते अभिमानी"
मीठी वाणी बोले राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो
जो कुच दंड दास को दीजो
धनुष तोड़्या मैं हूँ राम
पतित पावन सीताराम
लेकर के ये धनुष चढ़ाओ
अपनी शक्ति मुझे दिखलाओ
छूवत चाप चढ़ाए राम
पतित पावन सीताराम
हुई उर्मिला लखन की नारी
श्रुती-कीर्ति रिपुसूदन प्यारी
हुई मांडवी भरत खेवाँ
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी रघुनंदन आए
घर-घर नारी मंगल गाए
१२ वर्ष बिताए राम
पतित पावन सीताराम
गुरु वशिष्ट से आज्ञा लीनी
राज तिलक तैयारी कीनी
कल को होंगे राजा राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कुटिल मंथरा ने बहकायी
कैकेयी ने ये बात सुनाई
दे दो मेरे दो वरदान
पतित पावन सीताराम
मेरी विनती तुम सुन वीजो
भरत पुत्र को गद्दी दीजो
होत प्रात वन भेजो राम
पतित पावन सीताराम
धरनी गिरे भूप तट काला
लागा दिल में शूल विशाला
कब सुमंत बुलवाए राम!
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
राम पिता को शीश नवाए
मुख से वचन कहा नहीं जाए
कैकेयी वचन सुनयो राम
पतित पावन सीताराम
राजा के तुम प्राण प्यारे
इनके दुःख हरोगे सारे
अब तुम वन में जाओ राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
वन में १४ वर्ष बिताओ
रघुकुल रीत-नीति अपनाओ
आगे इच्छा तेरी राम
पतित पावन सीताराम
सुनत वचन राघव हर्षाए
माता जी के मंदिर आए
चरण कमल में किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
माता जी मैं तो वन जाऊँ
१४ वर्ष बाद फिर आऊँ
चरण कमल देखूँ सुख धाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सुनि शूल सम जब ये वाणी
भू पर गिरी कौशल्या रानी
धीरज बंधा रहे श्री राम
पतित पावन सीताराम
समाचार सुनि लक्ष्मण आए
धनुष-बांण सम परम सुहाए
बोले, "संग चलूँगा, राम"
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सीता जी जब ये सुन पाई
रंग महल से नीचे आई
कौशल्या को किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
मेरी चूक क्षमा कर दीजो
वन जाने की आज्ञा दीजो
सीता कौ समझाते राम
पतित पावन सीताराम
मेरी सीख सिया सुन दीजो
सास-ससुर की सेवा कीजो
मुझको भी होगा विश्राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
मेरा दोष बता प्रभु दीजो
संग मुझे सेवा में लीजो
अर्धांगिनी तुम्हारी राम
पतित पावन सीताराम
राम, लखन, मिथेलेश कुमारी
वन जाने की करी तैयारी
रथ में बैठ गए सुख धाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी के सब नर-नारी
समाचार सुन व्याकुल भारी
मचा अवध में अति कोहराम
पतित पावन सीताराम
संग वीरपुर रघुवर आए
रथ को अवधपुरी लौटाए
गंगा तट पर आए राम
पतित पावन सीताराम
केवट कह चरण धुलवाओ
पीछे नौका में चढ़ जाओ
पत्थर करनी नारी राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
लाया एक कठौता भारी
चरण कमल धोए सुख तारी
नाव चढ़ाए लक्ष्मण राम
पतित पावन सीताराम
उतरायी में मुदरी दीनी
केवट ए ये विनती कीनी
उतरायी नहीं लूँगा राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
तुम आए हम घाट उतारे
हम आएँगे घाट तुम्हारे
तब तुम पार लगाओ राम
पतित पावन सीताराम
भरद्वाज आश्रम पर आए
राम, लखन ने शीश नवाए
एक रात की भावे विश्राम
पतित पावन सीताराम
भाई भरत अयोध्या आए
कैकेयी को कटु वचन सुनाए
क्यूँ तुमने वन भेजे राम?
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
चित्रकुट रघुनंदन आए
वन को देख सिया सुख पाए
मिले भरत से भाई राम
पतित पावन सीताराम
अवधपुरी को चलिए भाई
ये सब कैकेयी की कुटिलाई
तनिक दोष नहीं मेरा राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
चरण-पादुका रूप ले लीजो
दर्शन करके पूजा कीजो
भरत ने कंठ लगाए राम
पतित पावन सीताराम
आगे चले राम रघुराया
निशाचरों का वंश मिटाया
ऋषियों के हुए पूरन काम
पतित पावन सीताराम
जनस्थान आए रघुराई
सूपनखा की नाक कटाई
हर दूषण को मारे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
पञ्चवटी रघुनंदन आए
कनक मृग-मारीच संग धाए
लक्ष्मण तुम्हें बुलाते राम
पतित पावन सीताराम
रावण साधु वेश में आया
भूख ने मुझको बहुत सताया
भीक्षा दो, ये धर्म का काम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
भीक्षा लेकर सीता आई
बाथ पकड़ रथ में बैठाई
सूनि कुटिया देखी राम
पतित पावन सीताराम
धरनी-धीरे राम रघुराई
सीता के बिन व्याकुल काई
हे, प्रीत सीते जी के राम
पतित पावन सीताराम
लक्ष्मण सीता छोड़ नहीं आते
जनक दुलारी नहीं गँवाते
तुमने सभी बिगाड़े काम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कोमल बदन, सुहासिन सीते
तुम बिन व्यर्थ रहे थे जीते
लगे चाँदनी जैसे धाम
पतित पावन सीताराम
सुनरी मैना, सुन रे तोता
मैं भी पंखों वाला होता
वन-वन लेता ढूँढ तमाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सुन रे गुलाब, चमेली, जूही
चंपा, मुझे बता दे तू ही
सीता कहाँ पुकारे राम?
पतित पावन सीताराम
नागराज मेरे मन हारी
कहीं देखी हो जनक दुलारी
तेरी जैसी चोटी श्याम
पतित पावन सीताराम
श्यामा हिरणी तू ही बता दे
जनकनंदिनी मुझे मिला दे
तेरे जैसी आँखें श्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
हे अशोका, मम शोक मिटा दे
चंद्रमुखी से मुझे मिला दे
होगा तेरा सच्चा नाम
पतित पावन सीताराम
वन-वन ढूँढ रहे रघुराई
जनक दुलारी कहीं ना पाई
गिरजा ने किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
चख-चख कर फल सबरी लाई
प्रेम सहित पाए रघुराई
ऐसे मीठे नहीं हैं आम
पतित पावन सीताराम
विप्र रूप धरी हनुमत आए
चरण कमल ने शीश नवाए
कंधे पर बैठाए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सुग्रीव से करी नीदाई
अपनी सारी कथा सुनाई
बाली पहुँचाया निज धाम
पतित पावन सीताराम
सिंघासन सुग्रीव दिखाया
मन मे वो भारी पछताया
वर्षा ऋतु आई, हे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
हे, भाई लक्ष्मण तुम जाओ
वानरपति को यूँ समझाओ
सीता बिन व्याकुल हैं राम
पतित पावन सीताराम
देश-देश वानर भिजवाए
सागर के तट पर सब आए
सहते भूख-प्यास और धाम
पतित पावन सीताराम
संपाती ने पता बताया
सीता को रावण ले आया
सागर कूद गए हनुमान
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कोने-कोने पता लगाया
भगत विभिषण का घर पाया
हनुमान को किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
हनुमान उपवन में आए
वृक्ष तले सीता को पाए
आँसू बरसे आठों याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
रावण संग निश्चरी लाके
सीता को बोला समझा के
मेरी ओर तुम देखो माँ
पतित पावन सीताराम
मंदोदरी बना तू दासी
सब सेवा में लंका वासी
करो भवन चलकर विश्राम
पतित पावन सीताराम
चाहे मस्तक कटे हमारा
मैं नहीं देखूँ बदन तुम्हारा
मेरे तन, मन, धन हैं राम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
ऊपर से मुद्रिका गिरायी
सीता जी ने कंठ लगाई
हनुमान ने किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
मुझको भेजा है रघुराया
सागर कूद यहाँ मैं आया
मैं हूँ राम दास हनुमान
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
माता की आज्ञा मैं पाऊँ
भूख लगी मीठे फल खाऊँ
पीछे मैं यूँ गावे विश्राम
पतित पावन सीताराम
वृक्षों को मत हाथ लगाना
भूमी गिरे मधुर फल खाना
निशाचरों का है ये धाम
पतित पावन सीताराम
हनुमान ने वृक्ष उखाड़े
देख-देख माली ललकारे
मार-मार पहुँचाए धाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अक्षय कुमार को स्वर्ग पहुँचाया
इंद्रजीत फाँसी ले आया
ब्रह्म फाँसले बंधे हनुमान
पतित पावन सीताराम
सीता को तुम लौटा दीजो
उससे क्षमा याचना कीजो
दीन लोक के स्वामी राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
भगत विभिषण ने समक्षाया
रावण ने उसको धमकाया
सम्मुख देख रहे हनुमान
पतित पावन सीताराम
रूई, तेल, घृत, वसन मंगाई
पूँछ बाँध कर आग लगाई
पूँछ घुमाई है हनुमान
पतित पावन सीताराम
सब लंका में आग लगाई
सागर में जा पूँछ बुझाई
हृदय कमल में राखे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सागर कूद लौट कर आए
समाचार रघुवर ने पाए
जो माँगा सो दिया इनाम
पतित पावन सीताराम
वानर रीछ संग में लाए
लक्ष्मण सहित सिंधु तट आए
लगे सुखाने सागर राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सेतु कपिनल नील बना
राम-राम लिख शिला तैरावे
लंका पहुँचै राजाराम
पतित पावन सीताराम
निशाचरों की सेना आई
गरत-तरज कर हुई लड़ाई
वानर बोले, "जय सिया राम"
पतित पावन सीताराम
इंद्रजीत ने शक्ति चलाई
धर ली गिरे लखन मुरझाई
चिंता करके रोए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जब मैं अवधपुरी से आया
हाए पिता ने प्राण गँवाया
वन में गई चुराई बाण
पतित पावन सीताराम
भाई तुमने ही छिटकाया
जीवन में कुछ सुख नहीं पाया
सेना में भारी कोहराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जो संजीवनी बूटी लाए
तो भाई जीवित हो जाए
बूटी लाए रा हनुमान
पतित पावन सीताराम
जब बूटी का पता ना पाया
पर्वत ही लेकर के आया
काल ने पहुँचाया धाम
पतित पावन सीताराम
भक्त भरत ने बाण चलाया
चोट लगी हनुमत लंगड़ाया
मुख से बोले जय सिया राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
बोले भरत बहुत पछताकर
पर्वत सहित बाण बैठाकर
तुम्हें मिला दूँ राजाराम
पतित पावन सीताराम
बूटी लेकर हुनुमत आए
लखन लाल उठ शीश नवाए
हनुमत कंठ लगाए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कुंभकरण उठकर तब आया
एक बाण से उसे गिराया
इंद्रजीत पहुँचाया धाम
पतित पावन सीताराम
दुर्गा पूजन रावन कीनो
नौ दिन तक आहार ना लीनो
आसन बैठ किया है ध्यान
पतित पावन सीताराम
रावन का व्रत खंडित कीना
परमधाम पहुँचाही लीना
वानर बोले, "जय सिया राम"
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सीता ने हरि दर्शन कीना
चिंता, शोक सभी तज दीना
हँस कर बोले राजाराम
पतित पावन सीताराम
पहले अग्नी परीक्षा पाओ
पीेछे निकट हमारे आओ
तुम हो पतिव्रता, हे वाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
करी परीक्षा कंठ लगाई
सब वानर सेना हर्षाई
राज विभिषण दीन्हा राम
पतित पावन सीताराम
फिर पुष्पक विमान मँगवाया
सीता सहित बैठ रघुराया
किशकिंधा को लौटे राम
पतित पावन सीताराम
ऋषि पत्नी दर्शन को आई
दीन्ही उनको सुंदर ताई
गंगा तट पर आए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
नंदीग्राम पवनसुत आए
भगत भरत को वचन सुनाए
लंका से आए हैं राम
पतित पावन सीताराम
कहो विप्र, तुम कहाँ से आए?
ऐसे मीठे वचन सुनाए
मुझे मिला दो भैया राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी रघुनंदन आए
मंदिर-मंदिर मंगल छाए
माताओं को किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
भाई भरत को गले लगाया
सिंघासन बैठे रगुराया
जग ने कहा है 'राजाराम'
पतित पावन सीताराम
सब भूमि विप्रो को दीनी
विप्ररो ने वापस दै दीनी
हम तो भजन करेंगे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
धोबी ने धोबंधम काई
रामचंद्र ने ये सुन पाई
वन में सीता भेजी राम
पतित पावन सीताराम
बालबितिया श्रम में आई
लव और कुश हुए दो भाई
धीर-वीर, ज्ञानी, बलवान
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अश्वमेघ फिर कीन्हा राम
सीता बिनु सब सूने काम
लव, कुश वहाँ दियो पहचान
पतित पावन सीताराम
सीता, राम बिना अकुलाई
भूमि से ये विनय सुनाई
मुझको अब दीजो विश्राम
पतित पावन सीताराम
सीता भूमिमा ही समाई
सुनकर चिंता करी रघुराई
ब्रह्मचारी बन गए हैं राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
राम राज में सब सुख पावे
प्रेम मग्न हो हरि गुण गावे
चोरी-चारी का नहीं काम
पतित पावन सीताराम
११ हजार वर्ष परेयंता
राज कीन्ही श्री लक्ष्मीकंता
फिर बैकुंठ पधारे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी बैकुंठ सिधाई
नर-नारी सब ने गति पाई
शरणागत प्रतिपालक राम
पतित पावन सीताराम
मुकेश कुमार ने भी लागाई
मेरी विनय सुनो रघुराई
भूलूँ नहीं तुम्हारा नाम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
राजाराम, राजाराम (रघुपति राघव राजाराम)
पतित पावन सीता राम (सियाराम)
पतित पावन सीताराम
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
भीड़ बड़ी जब भक्त पुकारे
दूर करो प्रभु दुःख हमारे
दशरथ के घर जन्मे राम
पतित पावन सीताराम
विश्वामित्र मुनिश्वर आए
दशरथ कूप से वचन सुनाए
संग में भेजे लक्ष्मण, राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
वन में जाए, ताड़का मारी
चरण छुआए अहिल्या तारी
ऋषियों के दुःख हरते राम
पतित पावन सीताराम
जनकपुरी रघुनंदन आए
नगर निवासी दर्शन पाए
सीता के मन भाए राम
पतित पावन सीताराम
रघुनंदन ने धनुष चढ़ाया
सब राजों का मान घटाया
सीता ने वर पाए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
परशुराम क्रोधित हो आए
दुष्ट भूप मन में हर्षाए
जनकराय ने किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
बोले लखन, "सुनो मुनि ज्ञानी
संत नहीं होते अभिमानी"
मीठी वाणी बोले राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो
जो कुच दंड दास को दीजो
धनुष तोड़्या मैं हूँ राम
पतित पावन सीताराम
लेकर के ये धनुष चढ़ाओ
अपनी शक्ति मुझे दिखलाओ
छूवत चाप चढ़ाए राम
पतित पावन सीताराम
हुई उर्मिला लखन की नारी
श्रुती-कीर्ति रिपुसूदन प्यारी
हुई मांडवी भरत खेवाँ
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी रघुनंदन आए
घर-घर नारी मंगल गाए
१२ वर्ष बिताए राम
पतित पावन सीताराम
गुरु वशिष्ट से आज्ञा लीनी
राज तिलक तैयारी कीनी
कल को होंगे राजा राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कुटिल मंथरा ने बहकायी
कैकेयी ने ये बात सुनाई
दे दो मेरे दो वरदान
पतित पावन सीताराम
मेरी विनती तुम सुन वीजो
भरत पुत्र को गद्दी दीजो
होत प्रात वन भेजो राम
पतित पावन सीताराम
धरनी गिरे भूप तट काला
लागा दिल में शूल विशाला
कब सुमंत बुलवाए राम!
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
राम पिता को शीश नवाए
मुख से वचन कहा नहीं जाए
कैकेयी वचन सुनयो राम
पतित पावन सीताराम
राजा के तुम प्राण प्यारे
इनके दुःख हरोगे सारे
अब तुम वन में जाओ राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
वन में १४ वर्ष बिताओ
रघुकुल रीत-नीति अपनाओ
आगे इच्छा तेरी राम
पतित पावन सीताराम
सुनत वचन राघव हर्षाए
माता जी के मंदिर आए
चरण कमल में किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
माता जी मैं तो वन जाऊँ
१४ वर्ष बाद फिर आऊँ
चरण कमल देखूँ सुख धाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सुनि शूल सम जब ये वाणी
भू पर गिरी कौशल्या रानी
धीरज बंधा रहे श्री राम
पतित पावन सीताराम
समाचार सुनि लक्ष्मण आए
धनुष-बांण सम परम सुहाए
बोले, "संग चलूँगा, राम"
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सीता जी जब ये सुन पाई
रंग महल से नीचे आई
कौशल्या को किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
मेरी चूक क्षमा कर दीजो
वन जाने की आज्ञा दीजो
सीता कौ समझाते राम
पतित पावन सीताराम
मेरी सीख सिया सुन दीजो
सास-ससुर की सेवा कीजो
मुझको भी होगा विश्राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
मेरा दोष बता प्रभु दीजो
संग मुझे सेवा में लीजो
अर्धांगिनी तुम्हारी राम
पतित पावन सीताराम
राम, लखन, मिथेलेश कुमारी
वन जाने की करी तैयारी
रथ में बैठ गए सुख धाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी के सब नर-नारी
समाचार सुन व्याकुल भारी
मचा अवध में अति कोहराम
पतित पावन सीताराम
संग वीरपुर रघुवर आए
रथ को अवधपुरी लौटाए
गंगा तट पर आए राम
पतित पावन सीताराम
केवट कह चरण धुलवाओ
पीछे नौका में चढ़ जाओ
पत्थर करनी नारी राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
लाया एक कठौता भारी
चरण कमल धोए सुख तारी
नाव चढ़ाए लक्ष्मण राम
पतित पावन सीताराम
उतरायी में मुदरी दीनी
केवट ए ये विनती कीनी
उतरायी नहीं लूँगा राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
तुम आए हम घाट उतारे
हम आएँगे घाट तुम्हारे
तब तुम पार लगाओ राम
पतित पावन सीताराम
भरद्वाज आश्रम पर आए
राम, लखन ने शीश नवाए
एक रात की भावे विश्राम
पतित पावन सीताराम
भाई भरत अयोध्या आए
कैकेयी को कटु वचन सुनाए
क्यूँ तुमने वन भेजे राम?
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
चित्रकुट रघुनंदन आए
वन को देख सिया सुख पाए
मिले भरत से भाई राम
पतित पावन सीताराम
अवधपुरी को चलिए भाई
ये सब कैकेयी की कुटिलाई
तनिक दोष नहीं मेरा राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
चरण-पादुका रूप ले लीजो
दर्शन करके पूजा कीजो
भरत ने कंठ लगाए राम
पतित पावन सीताराम
आगे चले राम रघुराया
निशाचरों का वंश मिटाया
ऋषियों के हुए पूरन काम
पतित पावन सीताराम
जनस्थान आए रघुराई
सूपनखा की नाक कटाई
हर दूषण को मारे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
पञ्चवटी रघुनंदन आए
कनक मृग-मारीच संग धाए
लक्ष्मण तुम्हें बुलाते राम
पतित पावन सीताराम
रावण साधु वेश में आया
भूख ने मुझको बहुत सताया
भीक्षा दो, ये धर्म का काम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
भीक्षा लेकर सीता आई
बाथ पकड़ रथ में बैठाई
सूनि कुटिया देखी राम
पतित पावन सीताराम
धरनी-धीरे राम रघुराई
सीता के बिन व्याकुल काई
हे, प्रीत सीते जी के राम
पतित पावन सीताराम
लक्ष्मण सीता छोड़ नहीं आते
जनक दुलारी नहीं गँवाते
तुमने सभी बिगाड़े काम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कोमल बदन, सुहासिन सीते
तुम बिन व्यर्थ रहे थे जीते
लगे चाँदनी जैसे धाम
पतित पावन सीताराम
सुनरी मैना, सुन रे तोता
मैं भी पंखों वाला होता
वन-वन लेता ढूँढ तमाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सुन रे गुलाब, चमेली, जूही
चंपा, मुझे बता दे तू ही
सीता कहाँ पुकारे राम?
पतित पावन सीताराम
नागराज मेरे मन हारी
कहीं देखी हो जनक दुलारी
तेरी जैसी चोटी श्याम
पतित पावन सीताराम
श्यामा हिरणी तू ही बता दे
जनकनंदिनी मुझे मिला दे
तेरे जैसी आँखें श्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
हे अशोका, मम शोक मिटा दे
चंद्रमुखी से मुझे मिला दे
होगा तेरा सच्चा नाम
पतित पावन सीताराम
वन-वन ढूँढ रहे रघुराई
जनक दुलारी कहीं ना पाई
गिरजा ने किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
चख-चख कर फल सबरी लाई
प्रेम सहित पाए रघुराई
ऐसे मीठे नहीं हैं आम
पतित पावन सीताराम
विप्र रूप धरी हनुमत आए
चरण कमल ने शीश नवाए
कंधे पर बैठाए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सुग्रीव से करी नीदाई
अपनी सारी कथा सुनाई
बाली पहुँचाया निज धाम
पतित पावन सीताराम
सिंघासन सुग्रीव दिखाया
मन मे वो भारी पछताया
वर्षा ऋतु आई, हे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
हे, भाई लक्ष्मण तुम जाओ
वानरपति को यूँ समझाओ
सीता बिन व्याकुल हैं राम
पतित पावन सीताराम
देश-देश वानर भिजवाए
सागर के तट पर सब आए
सहते भूख-प्यास और धाम
पतित पावन सीताराम
संपाती ने पता बताया
सीता को रावण ले आया
सागर कूद गए हनुमान
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कोने-कोने पता लगाया
भगत विभिषण का घर पाया
हनुमान को किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
हनुमान उपवन में आए
वृक्ष तले सीता को पाए
आँसू बरसे आठों याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
रावण संग निश्चरी लाके
सीता को बोला समझा के
मेरी ओर तुम देखो माँ
पतित पावन सीताराम
मंदोदरी बना तू दासी
सब सेवा में लंका वासी
करो भवन चलकर विश्राम
पतित पावन सीताराम
चाहे मस्तक कटे हमारा
मैं नहीं देखूँ बदन तुम्हारा
मेरे तन, मन, धन हैं राम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
ऊपर से मुद्रिका गिरायी
सीता जी ने कंठ लगाई
हनुमान ने किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
मुझको भेजा है रघुराया
सागर कूद यहाँ मैं आया
मैं हूँ राम दास हनुमान
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
माता की आज्ञा मैं पाऊँ
भूख लगी मीठे फल खाऊँ
पीछे मैं यूँ गावे विश्राम
पतित पावन सीताराम
वृक्षों को मत हाथ लगाना
भूमी गिरे मधुर फल खाना
निशाचरों का है ये धाम
पतित पावन सीताराम
हनुमान ने वृक्ष उखाड़े
देख-देख माली ललकारे
मार-मार पहुँचाए धाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अक्षय कुमार को स्वर्ग पहुँचाया
इंद्रजीत फाँसी ले आया
ब्रह्म फाँसले बंधे हनुमान
पतित पावन सीताराम
सीता को तुम लौटा दीजो
उससे क्षमा याचना कीजो
दीन लोक के स्वामी राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
भगत विभिषण ने समक्षाया
रावण ने उसको धमकाया
सम्मुख देख रहे हनुमान
पतित पावन सीताराम
रूई, तेल, घृत, वसन मंगाई
पूँछ बाँध कर आग लगाई
पूँछ घुमाई है हनुमान
पतित पावन सीताराम
सब लंका में आग लगाई
सागर में जा पूँछ बुझाई
हृदय कमल में राखे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सागर कूद लौट कर आए
समाचार रघुवर ने पाए
जो माँगा सो दिया इनाम
पतित पावन सीताराम
वानर रीछ संग में लाए
लक्ष्मण सहित सिंधु तट आए
लगे सुखाने सागर राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सेतु कपिनल नील बना
राम-राम लिख शिला तैरावे
लंका पहुँचै राजाराम
पतित पावन सीताराम
निशाचरों की सेना आई
गरत-तरज कर हुई लड़ाई
वानर बोले, "जय सिया राम"
पतित पावन सीताराम
इंद्रजीत ने शक्ति चलाई
धर ली गिरे लखन मुरझाई
चिंता करके रोए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जब मैं अवधपुरी से आया
हाए पिता ने प्राण गँवाया
वन में गई चुराई बाण
पतित पावन सीताराम
भाई तुमने ही छिटकाया
जीवन में कुछ सुख नहीं पाया
सेना में भारी कोहराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जो संजीवनी बूटी लाए
तो भाई जीवित हो जाए
बूटी लाए रा हनुमान
पतित पावन सीताराम
जब बूटी का पता ना पाया
पर्वत ही लेकर के आया
काल ने पहुँचाया धाम
पतित पावन सीताराम
भक्त भरत ने बाण चलाया
चोट लगी हनुमत लंगड़ाया
मुख से बोले जय सिया राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
बोले भरत बहुत पछताकर
पर्वत सहित बाण बैठाकर
तुम्हें मिला दूँ राजाराम
पतित पावन सीताराम
बूटी लेकर हुनुमत आए
लखन लाल उठ शीश नवाए
हनुमत कंठ लगाए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
कुंभकरण उठकर तब आया
एक बाण से उसे गिराया
इंद्रजीत पहुँचाया धाम
पतित पावन सीताराम
दुर्गा पूजन रावन कीनो
नौ दिन तक आहार ना लीनो
आसन बैठ किया है ध्यान
पतित पावन सीताराम
रावन का व्रत खंडित कीना
परमधाम पहुँचाही लीना
वानर बोले, "जय सिया राम"
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
सीता ने हरि दर्शन कीना
चिंता, शोक सभी तज दीना
हँस कर बोले राजाराम
पतित पावन सीताराम
पहले अग्नी परीक्षा पाओ
पीेछे निकट हमारे आओ
तुम हो पतिव्रता, हे वाम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
करी परीक्षा कंठ लगाई
सब वानर सेना हर्षाई
राज विभिषण दीन्हा राम
पतित पावन सीताराम
फिर पुष्पक विमान मँगवाया
सीता सहित बैठ रघुराया
किशकिंधा को लौटे राम
पतित पावन सीताराम
ऋषि पत्नी दर्शन को आई
दीन्ही उनको सुंदर ताई
गंगा तट पर आए राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
नंदीग्राम पवनसुत आए
भगत भरत को वचन सुनाए
लंका से आए हैं राम
पतित पावन सीताराम
कहो विप्र, तुम कहाँ से आए?
ऐसे मीठे वचन सुनाए
मुझे मिला दो भैया राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी रघुनंदन आए
मंदिर-मंदिर मंगल छाए
माताओं को किया प्रणाम
पतित पावन सीताराम
भाई भरत को गले लगाया
सिंघासन बैठे रगुराया
जग ने कहा है 'राजाराम'
पतित पावन सीताराम
सब भूमि विप्रो को दीनी
विप्ररो ने वापस दै दीनी
हम तो भजन करेंगे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
धोबी ने धोबंधम काई
रामचंद्र ने ये सुन पाई
वन में सीता भेजी राम
पतित पावन सीताराम
बालबितिया श्रम में आई
लव और कुश हुए दो भाई
धीर-वीर, ज्ञानी, बलवान
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अश्वमेघ फिर कीन्हा राम
सीता बिनु सब सूने काम
लव, कुश वहाँ दियो पहचान
पतित पावन सीताराम
सीता, राम बिना अकुलाई
भूमि से ये विनय सुनाई
मुझको अब दीजो विश्राम
पतित पावन सीताराम
सीता भूमिमा ही समाई
सुनकर चिंता करी रघुराई
ब्रह्मचारी बन गए हैं राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
राम राज में सब सुख पावे
प्रेम मग्न हो हरि गुण गावे
चोरी-चारी का नहीं काम
पतित पावन सीताराम
११ हजार वर्ष परेयंता
राज कीन्ही श्री लक्ष्मीकंता
फिर बैकुंठ पधारे राम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
अवधपुरी बैकुंठ सिधाई
नर-नारी सब ने गति पाई
शरणागत प्रतिपालक राम
पतित पावन सीताराम
मुकेश कुमार ने भी लागाई
मेरी विनय सुनो रघुराई
भूलूँ नहीं तुम्हारा नाम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
जय रघुनंदन, जय घनश्याम
पतित पावन सीताराम
(रघुपति राघव राजाराम)
(पतित पावन सीताराम)
राजाराम, राजाराम (रघुपति राघव राजाराम)
पतित पावन सीता राम (सियाराम)
Credits
Writer(s): Sandesh Shandilya
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