Raaton Ki Khamosiya

रातों की ख़ामोशियों में जब गहराती हैं तन्हाइयाँ
नाचने लगती हैं दिल पे मेरे यादों की परछाइयाँ, परछाइयाँ
रातों की ख़ामोशियों में...

लब सी लिए, लब सी लिए, ज़ख़्म धो लिए
ना खुलने दिया वो राज़ कभी
हाँ, लब सी लिए, ज़ख़्म धो लिए
ना खुलने दिया वो राज़ कभी

कैसे देता भला ये दीवाना तुम्हें प्यार में रुसवाइयाँ?
रातों की ख़ामोशियों में...

टूटे हुए, टूटे हुए दिल की मेरे कैसे सुनाऊँ मैं दास्ताँ?
टूटे हुए दिल की मेरे कैसे सुनाऊँ मैं दास्ताँ?

शोलों में ढली जुदाई में तेरी इश्क़ की चिंगारियाँ
रातों की ख़ामोशियों में...



Credits
Writer(s): Prakash Rahule Aadam, S. Chatursen
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