Berukhi Ko Umrbhar Ka

बेरुख़ी को उम्रभर का फ़ैसला कैसे कहूँ?
बेरुख़ी को उम्रभर का फ़ैसला कैसे कहूँ?

दो कदम चलकर मैं तुम को
दो कदम चलकर मैं तुम को
बेवफ़ा कैसे कहूँ?

बेरुख़ी को उम्रभर का

१०० बहाने ढूंढता है वो मानाने के लिए

१०० बहाने ढूँढता है वो मनाने के लिए
कोई यूँ रूठे तो उसको रूठना कैसे कहूँ?

दो कदम चलकर मैं तुम को
दो कदम चलकर मैं तुम को
बेवफ़ा कैसे कहूँ?

बेरुख़ी को उम्रभर का

सामने आने का ये अंदाज़, जी तड़पा गया

सामने आने का ये अंदाज़, जी तड़ पा गया
एक झलक देखी है, इसको देखना कैसे कहूँ?

दो कदम चलकर मैं तुम को
दो कदम चलकर मैं तुम को
बेवफ़ा कैसे कहूँ?

बेरुख़ी को उम्रभर का

ये निगाहें नीची-नीची
ये तबस्सुम ज़ेर-ए-लब
ये निगाहें नीची-नीची
ये तबस्सुम ज़ेर-ए-लब

इस अदा से, इस अदा से
कोई दिल माँगे तो ना कैसे कहूँ

दो कदम चलकर मैं तुम को
दो कदम चलकर मैं तुम को
बेवफ़ा कैसे कहूँ?

बेरुख़ी को उम्रभर का
फ़ैसला कैसे कहूँ?

दो कदम चलकर मैं तुम को
बेवफ़ा कैसे कहूँ?

बेरुख़ी को उम्रभर का



Credits
Writer(s): Qaiser Ul Zafri, Madan Kajale
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