Kis Dec Rahe Kahan Wakt Kata

किसी देश रहे, कहाँ वक़्त कटा
कैसे लोग मिले तुमसे
जब सारे मौसम बीत गए
अब यार मिले हो तुम हमसे

किसी देश रहे, कहाँ वक़्त कटा
कैसे लोग मिले तुमसे

चुपके से बहार आ जाती है इंसान के अंदर भी, जानाँ
चुपके से बहार आ जाती है इंसान के अंदर भी, जानाँ

अंग-अंग महके फूलों के तरह
ये राज़ ना पूछो तुम हमसे
किसी देश रहे, कहाँ वक़्त कटा
कैसे लोग मिले तुमसे

पर्वत के किनारे छोटी सी पगडंडी देखी थी हमने
पर्वत के किनारे छोटी सी पगडंडी देखी थी हमने

सुनते हैं, यही वो रस्ता है
जहाँ ख़्वाब में बिछड़े तुम हमसे
किसी देश रहे, कहाँ वक़्त कटा
कैसे लोग मिले तुमसे

कहते हैं, "दिलों का खेल यहाँ है, खेल जो वो शतरंज जैसा"
कहते हैं, "दिलों का खेल यहाँ है, खेल जो वो शतरंज जैसा"

ना यार, ना कभी तुम जीत सके
वो सीधे-साधे तुम हमसे
किसी देश रहे, कहाँ वक़्त कटा
कैसे लोग मिले तुमसे

जब सारे मौसम बीत गए
अब यार मिले हो तुम हमसे

अब यार मिले हो तुम हमसे
अब यार मिले हो तुम हमसे



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