Aarti Gaiya Maiya Ki

आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की
(आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की)
आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की
(आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की)

जहाँ से प्रकट हुई सृष्टि
(जहाँ से प्रकट हुई सृष्टि)
करे नित पंचगव्य व्रष्टि
(करे नित पंचगव्य व्रष्टि)

जीवन में रंग, जीने का ढंग
बताती बाट माँ गैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की
(आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की)
(आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की)

तुम ही हो अमृत की नाभि
(तुम ही हो अमृत की नाभि)
शमन करती हो विष का भी
(शमन करती हो विष का भी)

तुम्हारी माँ मूरत ममता
चले पथ नाग नथैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की
(आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की)
(आरती गैया मैया की, दुलारी कृष्ण कन्हैया की)



Credits
Writer(s): Chhawarlal Gehlot, Traditional
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