Katate Hai Dukh Mein Yeh Din (From "Parchhain")

कटते हैं दुख में ये दिन पहलू बदल-बदल के
रहते हैं दिल के दिल में अरमाँ मचल-मचल के
कटते हैं दुख में ये दिन...

तड़पाएगा कहाँ तक, ऐ दर्द-ए-दिल, बता दे?
रुसवा कहीं ना कर दें आँसू निकल-निकल के
कटते हैं दुख में ये दिन...

ये ख़्वाब पर जो चमकें, ज़र्रे ना इनको समझो
फेंका गया है दिल का...
फेंका गया है दिल का ग़ुंचा कुचल-कुचल के
कटते हैं दुख में ये दिन...

उल्फ़त की ठोकरों से...
उल्फ़त की ठोकरों से आख़िर ना बच सका दिल
उल्फ़त की ठोकरों से आख़िर ना बच सका दिल
जितने क़दम उठाए हम ने सँभल-सँभल के
कटते हैं दुख में ये दिन...



Credits
Writer(s): Chitalkar Ramchandra, Noor Lucknowi
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