Mere To Giridhar Gopal

मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई
मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई
जाके सर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई

मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई
मेरे तो गिरिधर-गोपाल...

असुवन जल सींच-सींच प्रेम बेल बोई
अब तो बेल फैल गई, आनंद फल होई

मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई

तात-मात, भ्रात-बंधु, आपणो न कोई
तात-मात, भ्रात-बंधु, आपणो न कोई
छाड़ गई कुल की कान, का करीहे कोई

मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई

चुनरी के किए टोक, ओढ़ लेई लोई
चुनरी के किए टोक, ओढ़ लेई लोई
मोती-मूँगे उतार, बन-माला पोई

मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई
मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई
जाके सर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई

मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई
मेरे तो गिरिधर-गोपाल, दूसरो न कोई



Credits
Writer(s): Ravi Shankar, Meerabai
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