Moh Moh Ke Dhaage - Male Version

मोह-मोह...
मोह-मोह के धागे...

ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे?
है रोम-रोम इक तारा...
है रोम-रोम इक तारा जो बादलों में से गुज़रे

ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे?

तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना?
तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना

तू दिन सा है, मैं रात
आ ना दोनों मिल जाएँ शामों की तरह

ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे?

कि ऐसा बेपरवाह मन पहले तो ना था
कि ऐसा बेपरवाह मन पहले तो ना था
चिट्ठियों को जैसे मिल गया, जैसे इक नया सा पता
कि ऐसा बेपरवाह मन पहले तो ना था

ख़ाली राहें, हम आँख मूँदे जाएँ
पहुँचें कहीं तो बेवजह

ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे?



Credits
Writer(s): Anu Malik, Varun Grover, Rabbi Khan
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