Saujha

सुबह ऐसी आये
उतरे पहाड़ों से धीमे-धीमे कुछ धूप के साये
जाता लम्हा रुक जाये

इक धुन कहीं दूर से आये
गूँजे वादी में मन की गहराई को छू कर जाये
आँचल सा लहराये

ये नदिया क्यूँ इतराये?
जाने किस राह से आये!
कौन सी राह को बहती जाये!
जाने कहाँ छिप जाये!

बंजारा दिल ये गाये
बिछड़ा कोई मिल जाये
जाने वो रुत कब आये

हो, बंजारा दिल ये गाये
बिछड़ा कोई मिल जाये
जाने वो रुत कब आये
हाँ, hmm, हाँ

जाने ये रात के साये
चुपके-चुपके वादी में ख़ामोशी की गूँज सुनाये
सारा आलम खो जाये

कोई बंधन ना रह जाये
कोई सुबह ऐसी आये

बंजारा दिल ये गाये
बिछड़ा कोई मिल जाये
जाने वो रुत कब आये

हो, बंजारा दिल ये गाये
बिछड़ा कोई मिल जाये
जाने वो रुत कब आये

बंजारा
बंजारा दिल ये गाये
बिछड़ा कोई मिल जाये
जाने वो रुत कब आये, ओ



Credits
Writer(s): Prasoon Joshi, Mohit Chauhan, Atul Mittal, Kem Trivedi
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