Lori Suna

लोरी सुना फिर से, मुझे नींद नहीं आती है
बड़ा हुआ हूँ, मगर बचपन कहीं बाक़ी है
लोरी सुना फिर से, मुझे नींद नहीं आती है
बड़ा हुआ हूँ, मगर बचपन कहीं बाक़ी है

जो सुकूँ मिलता तेरे आँचल में
ना कहीं मिलता दुनियाँ में
काश सो जाऊँ, सोते ही रह जाऊँ
है थकन कितनी अखियों में

दुनियाँ तो कितना सताती है, माँ
वो बारिश में ग़म की भिगाती है, माँ
तू तो खुद भीग जाए, सूखे में सुलाती है

लोरी सुना फिर से, मुझे नींद नहीं आती है
तेरे आँचल में दुनियाँ मिल जाती है

दर्द दिल के क्यूँ अपने छुपाती है?
तू छुपा मुझ को आँचल में
हाल हफ़्तों से पूछा नहीं तेरा
देख कितना हूँ पागल मैं

क्यों ज़ख्म किसी को दिखाए नहीं?
क्यों ये किसी को बताए नहीं?
कि तू सबको खिला, बिन खाए सो जाती है

लोरी सुना फिर से, मुझे नींद नहीं आती है
तेरे आँचल में दुनियाँ मिल जाती है

चार दिन की क्यूँ ये ज़िंदगानी है?
मुझ को शिकायत ये खुदा से है
एक माटी के पुतले हम सारे हैं
कुछ पास रहते, कुछ जुदा से हैं

चुपचाप गए वो, बताया नहीं
पर तू जाए तो हम से छुपाना नहीं
माँ, तू बिन बताए अक्सर चली जाती है

लोरी सुना फिर से, मुझे नींद नहीं आती है
तेरे आँचल में दुनियाँ मिल जाती है



Credits
Writer(s): Tony Kakkar
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