Mujhme Kabhi

मुझ में कभी कोई यूँ खोया था कहीं
रहा भी सदा साँसों में, पाया भी नहीं

रुके-रुके पलों में, कभी यूँ ही चले ज़िंदगी
मिले कभी खुशी भी जीने के लिए बनके अजनबी

लम्हे कहीं रूठे हैं जीने के सभी
मिला है वही राहों में खोया जो कहीं

गुज़र गए सभी जो, लम्हे वहीं जीए ज़िंदगी
बिखर गए सुकूँ जो, पाने के लिए तरसे हर खुशी



Credits
Writer(s): Ranjit Barot, Panchhi Jalonvi
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