Saanj Dhale Gagan Tale Hum Kitane Ekaki

साँझ ढले गगन तले
साँझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनों को
किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी

पाती की जाली से झांक रही थी कलियाँ
पाती की जाली से झांक रही थी कलियाँ
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थीं कलियाँ
इतने में तिमीर धँसा सपनीले नैनों में
कलियों के आँसू का कोई नहीं साथी

छोड चले नैनों को
किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी

जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी
जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी
निशीगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
निशीगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कँपता है मन जैसे डाली अंबुवा की

छोड़ चले नैनों को
किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
साँझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी



Credits
Writer(s): Laxmikant Kudalkar, Vasant Dev, Pyarelal Sharma
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