Diwanon Se Mat Poochho

दीवानों से ये मत पूछो

दीवानों से ये मत पूछो
दीवानों पे क्या गुज़री है, गुज़री है
हाँ, उनके दिलों से ये पूछो
अरमानों पे क्या गुज़री है, गुज़री है-है
दीवानों से ये मत पूछो

औरों को पिलाते रहते हैं
और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं
औरों को पिलाते रहते हैं
और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं

ये पीने वाले क्या जानें
पैमानों पे क्या गुज़री है, गुज़री है-है
दीवानों से ये मत पूछो

मालिक ने बनाया इंसाँ को
इंसान मोहब्बत कर बैठा
मालिक ने बनाया इंसाँ को
इंसान मोहब्बत कर बैठा

वो ऊपर बैठा क्या जाने
इंसानों पे क्या गुज़री है, गुज़री है
हाँ, उनके दिलों से ये पूछो
अरमानों पे क्या गुज़री है, गुज़री है
दीवानों से ये मत पूछो



Credits
Writer(s): Qamar Jalalabadi, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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