Pighalta Hua Ye Sama

पिघलता हुआ ये समाँ, हवाओं में ये नर्मियाँ
पिघलता हुआ ये समाँ, हवाओं में ये नर्मियाँ
फ़िज़ाओं में घुलता नशा, ये हम आ गए हैं कहाँ?

है जैसे धुला आसमाँ, है फूलों-भरी वादियाँ
है जैसे धुला आसमाँ, है फूलों-भरी वादियाँ
नदी गुनगुनाती हुई, ये हम आ गए हैं कहाँ?

है फूलों ही के क़िस्म की महक ये तेरे जिस्म की
आवारा और मस्त हवा, इसमें है अंदाज़ तेरा
ये नदिया की लहरें हैं या तेरा रेशमी आँचल
जैसे लहराता है, लहराता है, लहराता है

है जैसे धुला आसमाँ, है फूलों-भरी वादियाँ
नदी गुनगुनाती हुई, ये हम आ गए हैं कहाँ?

किस को ये पूछे कोई
किस को ये पूछे कोई
तितलियाँ इतनी हैं चंचल क्यूँ?
हाँ, भँवरे हैं हर पल बेकल क्यूँ?

Hey, तितलियाँ इतनी हैं चंचल क्यूँ?
भँवरे हैं हर पल बेकल क्यूँ?
तुम को पता हो तो तुम ही कहो
तेरे-मेरे जैसा प्यार इनको भी है
इनको भी है, प्यार इनको भी है
प्यार इनको भी है, प्यार इनको भी है

पिघलता हुआ ये समाँ, हवाओं में ये नर्मियाँ
फ़िज़ाओं में घुलता नशा, ये हम आ गए हैं कहाँ?



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Bhupen Hazarika
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link