Aso Ke Lagan Mein - From "Saathiya"

गाल बुझाता टमाटर देह पाटर कमरिया चाकर
किस्मत से मिलल पिया लईकी हाइ फ़ाई रे
आसो के लगन में ब्याव कईले भाई रे

गाजर मैनी मीठा बोली बयकर कैने के हमके दीवाना
चिमी के छिलका खाई जे हम इही मटर के दाना
देह लागे हार्डी परछे ऐही भोज़ाई रे
आसो के लगान में ब्याव कैले भाई रे

आखे के कजरी देहकता बद्री कर दिहवा अटॅक हो
कहु के छुयल छावल नईखे पूरा हो सिला पैक हो
एकरा के बनवाले बड़े कवनो हलवाई रे
आसो के लगन में ब्याव कईले भाई रे



Credits
Writer(s): Avinash Jha, Amarendra Rao Azad
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