Teri Fariyad (Extended Version)

अब कोई आस, ना उम्मीद बची हो जैसे
अब कोई आस, ना उम्मीद बची हो जैसे
तेरी फ़रियाद मगर मुझ में दबी हो जैसे

जागते-जागते एक उम्र कटी हो जैसे
जागते-जागते एक उम्र कटी हो जैसे
अब कोई आस, ना उम्मीद बची हो जैसे

कैसे बिछड़ूँ? कि वो मुझ में ही कहीं रहता है
उससे जब बच के गुज़रता हूँ तो ये लगता है
वो नज़र छुप के मुझे देख रही हो जैसे



Credits
Writer(s): Shakeel Azmi, Ankit Tiwari
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