Fiza Ye Khiza

फ़िज़ा, ये ख़िज़ाँ बदल जाएगी
ये मौज-ए-फ़ना बिखर जाएगी

फ़िज़ा, ये ख़िज़ाँ बदल जाएगी
ये मौज-ए-फ़ना बिखर जाएगी
कशिशे, मगर ये दिल से कभी
चाहे भी तो ना निकल पाएगी

है ख़ातिर तेरे, निछावर मेरे ये दोनों जहाँ हैं यार मेरे
तू आ साथ बाँट लें हर ग़म, हर ख़ुशी

ये ऐसी है तेरी दोस्ती, है गर्दिश भी जिस में हसीं
इस फ़र्श से उस अर्श तक, है बस तेरा-मेरा ज़िक्र ही
ये ऐसी है तेरी दोस्ती, है गर्दिश भी जिसमें हसीं
इस फ़र्श से उस अर्श तक, है बस तेरा-मेरा ज़िक्र ही

साथ मेरे तू जब भी चला
होता गया कम हर फ़ासला
साथ मेरे तू जब भी चला
होता गया कम हर फ़ासला

सोचूँ कभी 'गर तू ना होता
ऐ, यार मेरे, मेरा क्या होता?

साथ थे हम, रहें साथ ही, है फ़रियाद जज़्बात की
ये ऐसी है तेरी दोस्ती, ना जिसमें है रंजिश कोई
जब यारों का हो कारवाँ, मंज़िल की तब फ़िकर ही नहीं
ये ऐसी है तेरी दोस्ती, ना जिसमें है रंजिश कोई
जब यारों का हो कारवाँ, मंज़िल की तब फ़िकर ही नहीं



Credits
Writer(s): Ravi Babu, Sagar Sarkar
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