Kaminey

क्या करे ज़िन्दगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले
क्या करे ज़िन्दगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले
रात दिन गिले
मेरी आरज़ू... कमीनी
मेरे ख्वाब भी... कमीनी
एक दिल से दोस्ती थी
ये हुज़ूर भी... कमीने
क्या करे ज़िन्दगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले

कभी ज़िन्दगी से माँगा, पिंजरे में चाँद ला दो
कभी लालटेन दे के, कहा आसमां पे टांगो
कभी ज़िन्दगी से माँगा, पिंजरे में चाँद ला दो
कभी लालटेन दे के, कहा आसमां पे टांगो...
जीने के सब करीने, थे हमेशा से कमीने
कमीने, कमीने, कमीने, कमीने
मेरी दास्ताँ... कमीनी
मेरे रास्ते... कमीने
एक दिल से दोस्ती थी
ये हुज़ूर भी... कमीने

जिसका भी चेहरा छीला, अन्दर से और निकला
मासूम सा कबूतर, नाचा तो मोर निकला
कभी हम कमीने निकले
कभी दूसरे कमीने
कमीने, कमीने, कमीने, कमीने
मेरी दोस्ती... कमीनी
मेरे यार भी... कमीने
एक दिल से दोस्ती थी
ये हुज़ूर भी... कमीने



Credits
Writer(s): Gulzar
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link