Shehar Mehboob Hai Ji

तेरे जन्नत के वादे भी हमे, बेईमानी लगती है
हम खुश है रहने दो, हमें भोपाली गलियों में

ये शहर मेहबूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी

सुबह सीधे चाय खाने, बांधे ये ताने-बाने
कालिजों से टाकिजों तक तफ़री के है ठिकाने

अब सबके हिस्से अपने-अपने
इश्क़-इ-किस्से अपने-अपने
सबके हिस्से, सबके किस्से, किस्से अपने

इश्क़ पे लगे फिर तोहमत पुराने
वही नादान दिल ज़ालिम ज़माने
उँगठ दोपहर से ढूँढे शामो के बहाने

ये शहर मेहबूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है खूब है जी

मेरा शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है खूब है जी
शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, बड़ा खूब है जी

जुगनू की पाज़ेब डाले, रक्स करती रातें आये
घर के बहार गिधडयो पे
हाँ, साब महफ़िल सजाए

अब हर मोहल्ले, छपे-छपे
चल रिंगे उड़े-उड़े गप्पे
कही सच के रागो पे, झुटो के लगे धब्बे

जी हमारी लफाज़ी से कहीं तलवार नहीं अड़ती (नहीं अड़ती)
हमारी झूटो मरकज़ की सरकार नहीं गिरती (नहीं गिरती)

किसी के फ़िके से सच में मियाँ हम
झूठ की दो तार वाली चाशनी दे तो क्या है जी

ये शहर मेहबूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी

मेरा शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी

उर्दू में ये दिल मिलाके, देर रात कुछ तो बोले
फिर झीलो की थपकियो पे सो जाये, ये हौले-हौले

इसके है ख़बिदा रातें
आसमाँ से आते-जाते, फ़रिश्ते और परियां करते है, ये बाते

थोड़ी पे इसके सुरमे का कोई टीका लगा दो (टीका लगा दो)
काले धागे में पिरो कोई ताबीज बँधा दो (ताबीज बँधा दो)

ता उम्रभर शहर मेरा, रहे जवान ये
इश्क़ से पुरनूर गलियाँ या इलाही इसकी हो

ये शहर मेहबूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी

मेरा शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, बड़ा खूब है जी

शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी

मेरा शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
ये शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी

मेरा शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी
शहर मेहबूब है जी
जैसा भी है, खूब है जी



Credits
Writer(s): Krsna Solo, Rajshekhar
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