Rehbra Ve

रूबरू है एक नई सी दुनिया
देखी नहीं पहले कभी ऐसी दुनिया, ओ दिल
मीठी सी खलिश है आशिक़ी यहाँ
रहते-रहते जाने लगा सीने से कहाँ, ओ दिल

जादू सा हो गया
कुछ तो है जो खो गया
बेसब्री बेहिसाब है क्यूँ?
धीमा क्यूँ है शहर?

बादामी दोपहर
उसके चेहरे से है गुलाब क्यूँ?
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे, क्यूँ चुप है बोल तू

रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे, कुछ भेद खोल तू

रास्तों पे मुझको छू के भागे अब हवायें
जिस तरफ भी जाऊँ
है बरसती बस दुआएँ
छोटी-छोटी बातों पे भी अब

हो रही हूँ खुश मैं
तुझसे मिल के कुछ भी नहीं से
हो गई हूँ कुछ मैं
जादू सा हो गया

कुछ तो है जो खो गया
बेसब्री बेहिसाब है क्यूँ?
धीमा क्यूँ है शहर?
बादामी दोपहर
उसके चेहरे से है गुलाब क्यूँ?

रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे, क्यूँ चुप है बोल तू
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे, कुछ भेद खोल तू

सोचता हूँ आखिर क्यूँ है इतनी बेकरारी
एक पल में दुनिया हो गई क्यूँ इतनी प्यारी
खिली-खिली सी है जमीं अब
नए-नए रंग में

उड़ी-उड़ी फिरती हूँ महकी
हवाओं के संग में
जादू सा हो गया
कुछ तो है जो खो गया

बेसब्री बेहिसाब है क्यूँ?
धीमा क्यूँ है शहर?
बादामी दोपहर
उसके चेहरे से है गुलाब क्यूँ?

रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे, क्यूँ चुप है बोल तू
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे, कुछ भेद खोल तू



Credits
Writer(s): Aseem Abbasse, Vikram Singh, Gajendra Verma
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