Kaare Kaare Badra

बदरा, बदरा

कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा
कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा

बूँद जो गिरे तन पे, तीर लगे मन पे कोई
आँखें मले सपने, जाग उठे कामना सोई

हो, थरथरा के पलकों पे छाए सारे बदरा, कारे-कारे बदरा?
हो, कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा

हल्की-हल्की फुहारें, हौले-हौले सँवारें
सारी हैं जो दिशाएँ, सारी आकाँक्षाएँ
जितने भी दृश्य धुले हैं, उतने ही रंग घुले हैं

भीगी हवा में भी कोई सुंगध है समाई

बूँदें हैं के बरसा रहे हैं कारे बदरा, कारे-कारे बदरा
कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा

नैना दर्पण बने हैं जिनमें झलकें आशाएँ
साँसें मद्धम हुई है, धीमी-धीमी सी आएँ
रुत गाए, गा के बताए, जो चाहे मन वही पाए

मिल जाएगी फिर तुझे इक भावना जो है खोई

चाहतों के हैं लेके आए धारे बदरा, कारे-कारे बदरा
हो, कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा

बूँद जो गिरे तन पे, तीर लगे मन पे कोई
आँखें मले सपने, जाग उठे कामना सोई

कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा
हो, कैसे घिर के आए अंगना में हमारे बदरा? कारे-कारे बदरा



Credits
Writer(s): Javed Akhtar
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