Ankahee

क्या कभी सँवेरा लाता है अँधेरा?
सूखी सियाही देती है गवाही
सदियों पुरानी ऐसी एक कहानी
रह गई, रह गई

अनकही
अनकही

क्या कभी सँवेरा लाता है अँधेरा?
सूखी सियाही देती है गवाही
सदियों पुरानी ऐसी एक कहानी
रह गई, रह गई

अनकही
अनकही

क्या कभी बहार भी पेशगी लाती है?
आने वाले पतझर की
ओ, बारिशें नाराज़गी भी जता जाती हैं
कभी-कभी अंबर की

पत्ते जो शाखों से टूटे
बेवजह तो नहीं रूठे हैं सभी

ख़्वाबों का झरोखा सच था या धोखा
माथा सहला के निंदियाँ चुराई
सदियों पुरानी ऐसी एक कहानी
रह गई, रह गई

अनकही
ओ, अनकही



Credits
Writer(s): Amitabh Bhattacharya
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