Khwaabon Ki Zamin Par

तू साँस लेता हैं मेरी ख़्वाहिशों में
तू धूप में है, तू मेरी बारिशों में
मैं तेरे इश्क़ की आग में जलता रहूँ
सुरमई ख़ाब की ओर मैं चलता रहूँ

क्यूँकी तू है मेरे ख़ाबों की ज़मीं पर
क्यूँकी तू है मेरे ख़ाबों की ज़मीं पर
रौशनी से धूल रहे हैं सारे मंज़र
क्यूँकी तू है मेरे ख़ाबों की ज़मीं पर

ख़ाब शीश महलों से थे, सज गएँ सितारों से
रौशनी सी गुज़री है तू काँच की दीवारों से

लौ की तरह से जल रही है, हाए
मेरी वफ़ाएँ साथियाँ तेरे लिए
तुझसे महसूब है, जो भी है मन्नत मेरी
तेरे होने से है ये ज़मीं जन्नत मेरी

क्यूँकी तू है मेरे ख़ाबों की ज़मीं पर
क्यूँकी तू है मेरे ख़ाबों की ज़मीं पर
रौशनी से धूल रहे हैं सारे मंज़र
क्यूँकी तू है मेरे ख़ाबों की ज़मीं पर



Credits
Writer(s): Sandeep Batraa, Tanveer Ghazi
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