Dheere Dheere

रुख़ से परदा हटाया...

रुख़ से परदा हटाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
होए, अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
रुख़ से परदा हटाया...

सामना जब हुआ तो मिली मुस्कुरा के
सोचता हूँ मैं फिर सर से चुनरी हटा के
सामना जब हुआ तो मिली मुस्कुरा के
सोचता हूँ मैं फिर सर से चुनरी हटा के

अपना चेहरा छुपाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
होए, अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
रुख़ से परदा हटाया...

चाँदनी रात में रोज़ छत पे बुला के
मानता हूँ, मगर, मेरे ख़ाबों में आके
चाँदनी रात में रोज़ छत पे बुला के
मानता हूँ, मगर, मेरे ख़ाबों में आके

प्यार करना सिखाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
होए, अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
रुख़ से परदा हटाया...

बे-तहाशा मुझे प्यार करती हो तुम
सिर्फ़ तन्हा की ख़ातिर सँवरती हो तुम
बे-तहाशा मुझे प्यार करती हो तुम
सिर्फ़ तन्हा की ख़ातिर सँवरती हो तुम

अरे, दोस्तों को बताया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
हाँ, अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया तूने काहे धीरे-धीरे?
अपना आशिक़ बनाया...
रुख़ से परदा हटाया...



Credits
Writer(s): Varinder Bachchan, Ram Rasik
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