Raat Aankhon Mein Dhali

रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आए
रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आए
हम हवाओं की तरह जा के उसे छू आए
रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आए

बस गई है मेरे एहसास में ये कैसी महक?
बस गई है मेरे एहसास में ये कैसी महक?
कोई ख़ुशबू मैं लगाऊँ, तेरी ख़ुशबू आए
हम हवाओं की तरह जा के उसे छू आए
रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आए

उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतों बाद मेरी आँख में आँसू आए
रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आए

मैंने दिन-रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
मैंने दिन-रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
कोई आहट ना हो दर पर मेरे जब तू आए
कोई आहट ना हो दर पर मेरे जब तू आए

हम हवाओं की तरह जा के उसे छू आए
रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आए



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Dr. Bashir Badr
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