Kyu Aakar Hansi Udai

शिव प्रेमी भक्तजनों
पार्वती के आदेशानुसार
पंडित जी कैलाश पर्वत पर पहुँच जाते हैं
महादेव की समाधि टूटी
तो पंडितों को अपने सम्मुख पाया

शंकर भगवान ने कहा
"कहो इधर कैसे घुम रहे हो?"
तो पंडित जी कहते हैं
"हम आपके लिए शादी का सगुन ले कर आये हैं"
क्या मेरी शादी? हा-हा-हा
मेरी शादी? मुझसे कौन शादी करेगा?
क्यूँ मेरा मजाक उड़ा रहे हैं?
तो शिव-शंकर किस तरह से कहते हैं

क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?

अरे खाता हूँ मैं भंग, धथूरा! और देख लो भाई
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?
खाता हूँ मैं भंग, धथूरा! और देख लो भाई
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?

नहीं कोई नाती मेरा, नहीं कोई साथी, जंगल में डाला है डेरा
जंगल में डाला है डेरा, जंगल में डाला है डेरा
ना कोई मकान यहाँ, दिखे शमसान यहाँ, जोगियो वाला है फेरा
जोगियो वाला है फेरा, जोगियो वाला है फेरा

अरे मैं तो हूँ ओघड़ बाबा तन पे भसम रमाई
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?

अरे खाता हूँ मैं भंग, धथूरा! और देख लो भाई
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?
क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई? क्यूँ आ कर हँसी उड़ाई?



Credits
Writer(s): Traditional, Bhushan Dua, Shashikant
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