Alfazon Ki Tarah Unplugged

तेरे सिवा किसको सोचूँ मैं?
मेरी सोच पे तुम बैठे हो
साँसें जहाँ बनती हैं मेरी
उस मोड़ पे तुम रहते हो

तेरे सिवा किसको सोचूँ मैं?
मेरी सोच पे तुम बैठे हो
साँसें जहाँ बनती हैं मेरी
उस मोड़ पे तुम रहते हो

तू मेरे अल्फ़ाज़ों की तरह
तू मेरे लिहाज़ों की तरह
गुनगुना लूँ आजा मैं तुझे
तू मेरी आवाज़ों की तरह

मेरे हाथों से जो अदा हो
उस दुआ की चाह तू
गुज़रे जो रब के यहाँ से
वो जन्नती सी राह तू

सजदा तुम्हें १०० दफ़ा करूँ
उस रब की तरह दिखते हो
साँसें जहाँ बनती हैं मेरी
उस मोड़ पे तुम रहते हो

तू मेरे अल्फ़ाज़ों की तरह
तू मेरे लिहाज़ों की तरह
गुनगुना लूँ आजा मैं तुझे
तू मेरी आवाज़ों की तरह

ख़ाबों के लबों पे तू ही था रुका
या तेरा नाम था
नींदें मेरी ढूँढती रही तुझे
तू कहीं गुमनाम था

लगती हूँ मैं तेरे हूबहू
और तुम भी मेरे जैसे हो
साँसें जहाँ बनती हैं मेरी
उस मोड़ पे तुम रहते हो

तू मेरे अल्फ़ाज़ों की तरह
तू मेरे लिहाज़ों की तरह
गुनगुना लूँ आजा मैं तुझे
तू मेरी आवाज़ों की तरह



Credits
Writer(s): Abhendra Kumar Upadhyay, Ankit Tiwari
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