Maeri

तेरी या, मेरी या, पुल गया
पुल गया हार ते जीत
हे माये की करणा मैं जीतणू
होवे ना जे मीत
होवे ना जे मीत

बिंदिया लगाती तो
काँपती थी पलकें मायेरी
चुन्निया सजा के वो
देती वादे कल के मायेरी
मेरे हाथों में था उसका हाथ
थी चाशनी सी हर उसकी बात
मायरी आप ही हँस दी
मायरी आप ही रोंदी
मायरी याद वो याद वो आये री
गल्ला कर दी
मायरी अक्खां नाळ लड़ दी
मायरी याद वो याद वो आये री
हे मायरी

बारिशों में लिपट के माँ आती थी वो चल के मायरी
देरियाँ हो जाए तो रोती हलके हलके मायरी
फिर से मैं रोऊँ, फिर वो गाये
ठंडी हवाएँ बन के छाये
मायरी हीर ओ गांदी, मायरी गिद्दे ओ पौंदी
मायरी याद वो, याद वो आये री
जन्नताँ लंगदी, मायरी मन्नताँ मंगदी
मायरी याद वो याद वो आये री

अब क्या करूँ कासे कहूँ ए मायरी
अब क्या करूँ कासे कहूँ ए मायरी

दुनिया पराई, छोड़ के आजा
झूठे सारे नाते, तोड़ के आजा
सौ रबदी तुझे एक वारी आजा
अब के मिले तो होंगे ना जुदा
ना जुदा...
ना जुदा...
होंठते आये, कोई ते ले आये
मायरी याद वो याद वो आये री
गल्ला कर दी
मायरी अक्खां नाळ लड़ दी
मायरी याद वो याद वो आये री

खुल गयी मेरा प्यार
माये बस लगे महीने चार
मायरी याद वो याद वो आये री
याद वो आये
मायरी याद वो आये
मायरी याद वो याद वो आये री
अब क्या करूँ कासे कहूँ ए मायरी
अब क्या करूँ कासे कहूँ ए मायरी



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