Phir Se Ud Chala / Ilahi

फिर से उड़ चला
उड़ के छोड़ा है जहान नीचे
मैं तुम्हारे अब हूँ हवाले

अब दूर-दूर लोग-बाग
मीलों दूर ये वादियाँ
फिर धुआँ-धुआँ तन
हर बदली चली आती है छूने

पर कोई बदली कभी कहीं
कर दे तन गीला, ये भी ना हो

किसी मंज़र पर मैं रुका नहीं
कभी ख़ुद से भी मैं मिला नहीं
ये गिला तो है, मैं ख़फ़ा नहीं
शहर एक से, गाँव एक से
लोग एक से, नाम एक, ओ

शामें मलंग सी, रातें सुरंग सी
बाग़ी उड़ान पे ही ना जाने क्यूँ

इलाही, मेरा जी आए-आए (ooh)
इलाही, मेरा जी आए-आए, hey (aah)

कल पे सवाल है, जीना फ़िलहाल है
ख़ाना-बदोशियों पे ही जाने क्यूँ

इलाही, मेरा जी आए-आए (ooh)
इलाही, मेरा जी आए-आए (aah)

कभी डाल-डाल, कभी पात-पात
मेरे साथ-साथ फिरे दर-दर ये
कभी सहरा, कभी सावन
बनूँ रावण, जियूँ मर-मर के

कभी डाल-डाल, कभी पात-पात
कभी दिन है रात, कभी दिन दिन है
क्या सच है? क्या माया? है दाता, है दाता

इधर-उधर, तितर-बितर
क्या है पता, हवा ले ही जाए तेरी ओर
खींचें तेरी यादें, तेरी यादें तेरी ओर

मेरा फ़लसफ़ा, कंधे पे मेरा बस्ता
चला मैं जहाँ ले चला मुझे रस्ता
बूँदों पे नहीं, गहरे समुंदर पे
Whoa-ooh, whoa-ooh, whoa-oh

इलाही, मेरा जी आए-आए
इलाही, मेरा जी आए-आए

इलाही
इलाही
इलाही



Credits
Writer(s): Irshad Kamil
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